Haldwani हल्द्वानी to Garjia गर्जिया Temple


हल्द्वानी से कालाढूंगी, कॉर्बेट म्यूजियम, कॉर्बेट वाटर फॉल, बैलपडाव, रामनगर होते हुए गर्जिया मंदिर के खुबसूरत सफ़र के बारे में विस्तृत जानकारी देता विडियो

Almora Trip from Karbala to Dharanaula

Dharanaula is an important part of Almora Almora city. Tour form Karbala to Dharanaula Bus Station. At Dharanaula there is Jila panchayat Bhawan, where many of the offices unit are such as Indane Gas office, Irrigation dept., Jila Panchayat Bhawan, Jila Samaj and Pariwar Kalyan Vibhag, Vidhyut Vibhag etc.

 

Almora City Tour

व्यस्त दिनचर्या और थकान भरी जीवनशैली के आप used to (अभ्यस्त) हो गये हों, पर कभी आपको लगे, कि आपने, अपने और अपनों के साथ, अच्छा वक़्त बिताना है, तो अल्मोड़ा जो की समुद्र तल से लगभग 6,106 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, आपके लिए एक उपयुक्त स्थान हो सकता है। ये नगर जहाँ एक और ऐतिहासिक महत्व का है, वही सांस्कृतिक, अध्यात्मिक स्थल होने के साथ साथ एक जाना माना पर्यटक स्थल भी है। इस जगह से राईट हैण्ड साइड को डोली डाना गोल्जू मंदिर है जो डेढ़ से दो किलोमीटर की soft​ ट्रैकिंग के बाद आता है। ​

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अल्मोड़ा, 16 वीं शताब्दी में कुमाऊं साम्राज्य पर शासन करने वाले चंदवंशीय राजाओं की राजधानी थी। एक कथा के अनुसार यह कहा जाता है कि कौशिका देवी ने शुंभ और निशुंभ नामक दानवों को इसी क्षेत्र में मारा था।

हेड पोस्ट ऑफिस, रैमजे इंटर कॉलेज, एडम्स गर्ल्स inter कॉलेज, GIC आदि कुछ ब्रिटिश कालीन इमारतों में से एक हैं
चितई, नंदा देवी मंदिर, रघुनाथ मंदिर, हनुमान मंदिर, मुरली मनोहर मंदिर, भैरब मंदिर, पाताल देवी, कसारदेवी, उल्का देवी, बानरी देवी, बेतालेश्वर, स्याही देवी , जागेश्वर, डोलीडाना आस्था के केन्द्र इस शहर की धरोहर हैं

​​अल्मोड़ा में, आवागमन के लिए, KMOU, रोडवेज की बसें और टैक्सी उपलब्ध हो जाती हैं । जनपद का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम, यहाँ से लगभग 90० किमी० की दूरी पर, एवं निकटतम एअरपोर्ट पंतनगर लगभग 125 किमी० की दूरी पर स्थित है।

अल्मोड़ा कुमाऊ का एक प्रमुख शहर है जहाँ से कुमाओं और गडवाल के प्रमुख जगहों के लिए मार्ग जाता है जैसे नैनीताल, हल्द्वानी, पिथोरागढ़, बागेश्वर, द्वाराहाट, रानीखेत, कौसानी, जागेश्वर, कर्णप्रयाग, चमोली, आदि को, स्क्रीन में आपको इन स्थानों की अल्मोड़ा से दुरी का चार्ट दिख रहा है

इतिहासकारों की मान्यता है कि, सन् 1563 ई. में चंदवंश के राजा बालो कल्याणचंद ने आलमनगर के नाम से इस नगर को बसाया था। चंदवंश की पहले राजधानी चम्पावत थी। कल्याणचंद ने इस स्थान के महत्व को भली-भाँति समझा। तभी उन्होंने चम्पावत से बदलकर इस आलमनगर (अल्मोड़ा) को अपनी राजधानी बनाया।

सन् 1563 से लेकर 1790 ई. तक अल्मोड़ा का धार्मिक भौगोलिक और ऐतिहासिक महत्व कई दिशाओं में अग्रणी रहा। इसी बीच कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक एवं राजनैतिक घटनाएँ भी घटीं। साहित्यिक एवं सांस्कृतिक दृष्टियों से भी अल्मोड़ा समस्त कुमाऊँ अंचल का प्रतिनिधित्व करता रहा।
सन् १७९० ई. से गोरखाओं का आक्रमण कुमाऊँ अंचल में होने लगा था। गोरखाओं ने कुमाऊँ तथा गढ़वाल पर आक्रमण ही नहीं किया बल्कि अपना राज्य भी स्थापित किया। सन् 1896 ई. में अंग्रेजो की मदद से गोरखा पराजित हुए और इस क्षेत्र में अंग्रेजों का राज्य स्थापित हो गया।
स्वतंत्रता की लड़ाई में भी अल्मोड़ा के विशेष योगदान रहा है। शिक्षा, कला एवं संस्कृति के उत्थान में अल्मोड़ा का विशेष हाथ रहा है।
कुमाऊँनी संस्कृति की असली छाप अल्मोड़ा में ही मिलती है – अत: कुमाऊँ के सभी नगरों में अल्मोड़ा ही सभी दृष्टियों से बड़ा है।जनपद की मुख्य नदियों में रामगंगा, कोसी तथा सुयाल नदियां हैं । जनपद के प्रमुख कृषि उत्पाद चावल, गेहूं, ज्वार, बाजरा, चाय, सेब, आड़ू, खुबानी, पूलम हैं। तथा मयूर, ग्रे बटेर, काला तीतर, चिड़िया, चकोर, मोनाल तीतर, बाघ, चीतल, तेंदुआ, लोमड़ी, गोराल, हिम तेंदुआ, काले भालू जनपद में पायी जाने वाली जीव जन्तुओं की मुख्य प्रजातियां हैं। जनपद का मौसम सर्दियों में ठण्डा तथा गर्मियों में सुहावना रहता है। ऊंचाई वाले स्थानों में सर्दियों में जमकर हिमपात होता है।। जुलाई से सितंबर तक जनपद में भारी वर्षा होती है ।
अब ये बायीं और दींन दयाल उपाध्याय पार्क…

Sahastradhara Tour Dehradun

सहस्त्रधारा एक खूबसूरत और लोकप्रिय स्थान जो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से लगभग 16 किलोमीटर की दुरी पर राजपुर गांव के पास जंगलों के बीच स्थित है।

देहरादून से १६ किलीमीटर की दुरी पर स्थित सहस्त्रधारा तक पहुचने में लगभग 50 मिनट लगते हैं. कुछ दुरी तक सीधा रास्ता होने के बाद पहाड़ी घुमावदार सड़क शुरू हो जाती है. यहाँ स्थित, पहाड़ों से गिरने वाली धाराओं के सेकड़ों समूहों की वजह से इस स्थान को सहस्त्रधारा के नाम से जाना जाता है। यह स्थान रोमांच, आध्यात्म और सुंदरता से भरपूर है। पर्यटन आकर्सर्ण के इस केंद्र सहस्त्रधारा में हर वर्ष लाखों की संख्या में लोग यहाँ आते हैं। पहाड़ी के अन्दर प्राकृतिक रूप से तराशी हुई कई छोटी छोटी ग़ुफाएँ हैं जो बाहर से तो स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती किंतु इनमें जब प्रवेश करते हैं तो उनकी छत से अविरल रिमझिम बारिश की बौछारों की तरह पानी टपकता रहता है।

कहते हैं कि गुरू द्रोणाचार्य ने यहां पर तपस्या की थी। गर्मी से परेशान होकर उन्होने भगवान शिव से एक आशीर्वाद प्राप्त किया कि यहां हमेशा पानी टपकता रहे, और तब से लगातार पानी टपक रहा है। यहां गुफा और एक प्राचीन शिव मंदिर भी है। गुफा के भीतर भी गंधक युक्त पानी रिमझिम फुहारों की रूप में गुफा की छत से टपकता रहता हैं. यहां स्थित गंधक झरना त्वचा सम्बंधित बीमारियों की चिकित्सा के लिए प्रसिद्ध है।

यहाँ से लगभग तीन हजार की उचाई पर स्थित एक अन्य आकर्षण का स्थान मणिदीप है, जहाँ आप रोपवे द्वारा जा सकते हैं, ये आप के सहस्त्रधारा यात्रा को और निश्चित ही और भी यादगार बना देगा। यहां पर एक बौद्ध मंदिर भी है।

अधिक जानने के लिए देखें विडियो:

Dehradun to Haridwar


Dehradun to Haridwar just in 4 minutes. Road conditions is quite good, travel time we took about 2 hrs. Distance is between these two cities is approx 52 kms. (via road and rail). There are frequent buses for and from both cities.
Dehradun is best for living and Haridwar is best for leaving (Leaving worldly possessions)
#Dehradun #Haridwar #HarKeePaidi #Doon #RoadTrip #UttarakhandCapital

Haldwani to Rudrapur


Travel with us from Haldwani to Rudrapur, हल्द्वानी से रुद्रपुर का सफ़र तय कीजिये 5 मिनट में – जानने के लिए देखे विडियो।

Hadlwani is known as a “Gateway to Kumaon”, and Rudrapur is known as Industrial area. In this video you will see the road trip from Mukhani, Haldwani to Roadways station Rudrapur. Distance between Rudrapur and Haldwani is approx 32.6 Kms.
#Haldwani #Rudrapur #AboutRudrapur

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