दुनागिरी मंदिर, पांडुखोली और कुमाऊँ की सबसे ऊँची चोटी भतकोट
इस लेख में है दुनागिरि, पाण्डुखोली और कुमाऊँ की सबसे ऊँची non हिमालयन पहाड़ी भतकोट से जुडी जानकारी।
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में - द्वाराहाट से लगभग 14 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है दुनागिरि...
कटारमल सूर्य मंदिर, अल्मोड़ा
कटारमल सूर्य मंदिर, भारत के उत्तरी राज्य उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले से लगभग 16 किलोमीटर की दुरी अल्मोड़ा रानीखेत मार्ग पर एक ऊँची पहाड़ी पर बसे गाँव अधेली सुनार में स्थित है।
कटारमल सूर्य मंदिर...
खटीमा : भारत और नेपाल की सीमा के निकट बसा उत्तराखंड का नगर
उत्तराखण्ड स्थित खटीमा, कुमाऊँ मण्डल के उधमसिंहनगर जनपद में स्थित एक नगर है। समुद्र तल से 653 फीट (199 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित, यह स्थान भारत-नेपाल सीमा के निकट है। खटीमा नगर, राज्य...
गंगोलीहाट माँ हाट कालिका मंदिर : नवरात्र विशेष
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले में गंगोलीहाट में माँ कालिका का मंदिर, देवदार के खूबसूरत वृक्षों से घिरा है। इस सुविख्यात मंदिर में स्थानीय लोगो के अलावा दूर- दूर से शृदालू माँ काली के दर्शन को...
शीतला देवी मंदिर दर्शन, रानीबाग, काठगोदाम, हल्द्वानी
हल्द्वानी के निकट एक प्रसिद्ध, रमणीय एवं पौराणिक धार्मिक श्रद्धा स्थल - माँ शीतला देवी मंदिर के दर्शन करने के साथ यहाँ के बारे मे जानेंगे इस लेख में।
यह स्थान ६ठीं से ११वीं सदी...
हल्द्वानी से अल्मोड़ा, Road Journey
कुमाऊँ के प्रवेश द्वार के नाम से जाना जाने वाला स्थान -हल्द्वानी से खूबसूरत अल्मोड़ा की सड़क यात्रा। इस विडियो में आप देखेंगे हल्द्वानी से कैसे हमने अपना सफर की शुरुआत की, हल्द्वानी के बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन से होते हुए, काठगोदाम, रानीबाग, भीमताल, भवाली, कैंची आश्रम, गरमपानी, खैरना, सुयालबाड़ी, क्वारब, लोधिया होते हुए अल्मोड़ा पहुचे।
लाहिड़ी महाशय रानीखेत में महावतार बाबाजी से मुलाकात
लाहिड़ी महाशय के लिए उस समय तक रहस्मय संत ने अंग्रेजी में उत्तर दिया - The office is brought for you, and not you for the office (ऑफिस तुम्हारे लिए लाया गया हैं, तुम ऑफिस के लिए नहीं)
पूर्णागिरी देवी का मंदिर टनकपुर
वैसे तो इस पवित्र शक्ति पीठ के दर्शन हेतु श्रद्धालु वर्ष भर आते रहते हैं। परन्तु चैत्र मास की नवरात्रियों से जून तक श्रद्धालुओं की अपार भीड दर्शनार्थ आती है। चैत्र मास की नवरात्रियों से दो माह तक यहॉ पर मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें श्रद्धालुओं के लिए सभी प्रकार की सुविधायें उपलब्ध कराई जाती हैं।
नानकमत्ता गुरुद्वारा
ये है नानकमत्ता, आज से लगभग 500 वर्ष पूर्व सन 1514 ईस्वी यहाँ गुरुनानक देव आए थे। आज हम Explore करेंगे इसी स्थान को। जानेंगे यहा आप कैसे आ सकते हैं, यहाँ का इतिहास, यहाँ का महत्व, यहाँ कौन से जगह में क्या स्थित है, कहाँ आप भोजन कर सकते हैं, कहाँ रात्री विश्राम कर सकते हैं।
बागेश्वर – कुमाऊं – उत्तराखंड की तीर्थ नगरी
भगवान शिव के एक रूप - बागनाथ जी का स्थान - बागेश्वर - उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ की धार्मिक नगरी और तीर्थस्थल के रूप में सुप्रसिद्ध हैं। बागेश्वर भ्रमण के साथ भगवान श्री बागनाथ जी के दर्शन करें - इस वीडियो टूर द्वारा।