Dehradun : Few worth seeing places

Dehradun is a city located in the northern Indian state of Uttarakhand. It is known for its natural beauty, rich cultural heritage and proximity to popular tourist destinations such as Mussoorie, Rishikesh and Haridwar. Some must visit places to explore in Dehradun are as follows:

  1. Robber’s Cave: A popular attraction in Dehradun, the Robber’s Cave is a natural cave that features a small stream running through it. It is a great place for a picnic and a hike.
  2. Forest Research Institute: This institute (also known as FRI) is a premier institution in the field of forestry research and education and one of the most popular tourist attraction in Dehradun.
  3. Tapkeshwar Temple: A beautiful temple located on the banks of a small stream, the Tapkeshwar Temple is dedicated to Lord Shiva and is a popular spot for pilgrims and tourists alike.
  4. Sahastradhara: This popular tourist spot is a limestone cave and a natural sulphur spring. It is located just outside of Dehradun and offers a unique and refreshing experience.
  5. Malsi Deer Park: Malti Deer park is also known ad Dehradun Zoo, it is a popular spot for families and nature lovers, the Malsi Deer Park is home to a wide variety of animals and birds.
  6. Chetwode Hall: A beautiful historical building located in the heart of the city, it is a great place to learn about the history and culture of Dehradun.
  7. Mindrolling Monastery: A beautiful Buddhist Monastery located in Clement Town, Dehradun. It is one of the largest Buddhist monasteries in India and offers a peaceful and serene atmosphere.

These are just a few examples of the many things to see and do in Dehradun. The city also offers a wide range of delicious local food and shopping options.

Why Uttarakhand is one of the best states for travellers

Uttarakhand, a state located in northern India, is known for its natural beauty, including mountains, forests, rivers, and temples. Some ways to explore Uttarakhand include:

  1. Trekking and hiking: Uttarakhand is home to several popular trekking routes, such as the Roopkund Trek, Pindari Glacier Trek, Milam Glacier Trek, Kedarnath Trek & many more treks, which offer breathtaking views of the Himalayas.
  2. Skiing and snowboarding: Auli, in the Chamoli district, is a popular destination for skiing and snowboarding, with well-groomed slopes and a ski lift.
  3. River rafting: The Ganges, Yamuna, and Alaknanda rivers offer exciting opportunities for white-water rafting.
  4. Wildlife safari: The Rajaji National Park, Corbett National Park, Binsar Wildlife Sanctuary, Nandhaur Wildlife Sanctuary  and Valley of Flowers National Park are home to a diverse array of wildlife, including tigers, elephants, and leopards.
  5. Temple and pilgrimage: Uttarakhand is also known for its many ancient temples, such as Kedarnath Temple, Badrinath Temple, and Hemkund Sahib.Char Dham Uttarakhand
  6. Adventure activities: Zip lining, paragliding, bungee jumping, and other adventure activities are also available in Uttarakhand.
  7. Exploring the culture: The state also offers the opportunity to explore the rich culture and traditions of the local communities through traditional fairs and festivals, food, and handicrafts.
  8. Road trip: The state is also famous for road trip, you can explore the state by taking a road trip.

Experience the beauty of Uttarakhand through the videos of PopcornTrip’s Youtube channel.

These are some ways to explore Uttarakhand, but there are many more options depending on your interests and preferences.

कटारमल सूर्य मंदिर, अल्मोड़ा

कटारमल सूर्य मंदिर, भारत के उत्तरी राज्य उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले से लगभग 16 किलोमीटर की दुरी अल्मोड़ा रानीखेत मार्ग पर एक ऊँची पहाड़ी पर बसे गाँव अधेली सुनार में स्थित है।

कटारमल सूर्य मंदिर कुमांऊॅं के विशालतम ऊँचे मन्दिरों में से एक है।  पूरब की ओर रुख वाला यह मंदिर कुमाऊं क्षेत्र का सबसे बड़ा और सबसे ऊंचा मंदिर है।

हिन्दू धर्म की यही खासियत हैं कि इसमे प्रकृति के हर रूप को पूजा जाता है, चाहे वो जल हो, अग्नि हो, वायु हो, अन्न हो, भूमि हो या फिर सूर्य, तो इन्ही में से एक सूर्य को समर्पित विभिन्न मंदिर भारत के कई राज्यों में हैं – जैसे उड़ीसा स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर के अलावा मध्य प्रदेश, गुजरात, कश्मीर, बिहार, असम, तमिलनाडु, राजस्थान आदि सहित उत्तराखंड राज्य स्थित कटारमल सूर्य मंदिर प्रमुख हैं।

आज आप जानेंगे, उत्तराखंड स्थित इस कटारमल सूर्य मंदिर के बारे में सम्पूर्ण जानकारी। नमस्कार आपका स्वागत है पॉपकॉर्न ट्रिप में।

इस मंदिर का सामने वाला हिस्सा पूर्व की ओर है। इसका निर्माण इस प्रकार करवाया गया है कि सूर्य की पहली किरण मंदिर में रखे शिवलिंग पर पड़ती है।

अल्मोड़ा रानीखेत मार्ग में कोसी से लगभग ४ किलोमीटर की दुरी पर कटारमल सूर्य मंदिर के लिए ३ किलोमीटर का एक अलग मार्ग जाता है। एक और हलकी पहाड़ी और नीचे की और रेलिंग लगी है। इस मार्ग से चलते हुए आपको कटारमल गाँव और आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों जैसे कोसी, हवालबाग आदि गाँव का दृश्य दिखाई देता है। साथ ही मार्ग में आपको पारंपरिक शैली से बने हुए पहाड़ी घर भी दिखते हैं, और ऐसे ही खुबसूरत दृश्यों को देखते हुए आप कब मंदिर के समीप पहुच जाते हैं, पता ही नहीं चलता।

लगभग 9वी से 11वी शताब्दी के मध्य, कत्युरी शासन काल में बने इस सूर्य मंदिर के बारे में मान्यता है कि, इसका निर्माण एक रात में कराया गया था। कत्युरी शासक कटारमल देव द्वारा इस मंदिर का निर्माण हुआ। इस मंदिर का मुख्य भवन का शिखर खंडित है, जिसके पीछे ये कारण बताया जाटा है कि मंदिर निर्माण के अंतिम चरण में सूर्योदय होने लगा था, जिससे मंदिर का निर्माण कार्य रोक दिया गया, और ये हिस्सा अधुरा ही रह गया, जिसे आज भी देखा जा सकता है। हालाँकि एक अन्य मान्यता के अनुसार परवर्ती काल में रखरखाव आदि के अभाव में मुख्य मन्दिर के बुर्ज का कुछ भाग ढह गया।

देखिए video

How to Reach कैसे पहुचे!

कटारमल मंदिर के नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम यहाँ से लगभग 105 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर 135 किलोमीटर की दुरी पर है। जिला मुख्यालय अल्मोड़ा से लगभग 16 किलोमीटर, रानीखेत से 30 किलोमीटर, कौसानी से 42 किलोमीटर है।

कटारमल मंदिर के सबसे नजदीक का क़स्बा मंदिर से लगभग 4.5 किलोमीटर की दुरी पर कोसी है, और पैदल मार्ग द्वारा लगभग २ किलोमीटर की दुरी पर है।

Where to stay रात्रि विश्राम के लिए नजदीक स्थल कोसी में रात्रि विश्राम के लिये आपको होटल मिल जायेंगे, जिसकी दुरी यहाँ से लगभग 5 किलोमीटर है। इसके अतिरिक्त अल्मोड़ा, रानीखेत, कौसानी आदि में भी आप ठहर सकते हैं।

Nearby attractions – आस पास के पर्यटक आकर्षण के केंद्र चितई गोलू देवता मंदिर, कसार देवी मंदिर, जागेश्वर धाम, रानीखेत, कौसानी (इन स्थानों पर बने वीडियो भी आप youtube.com/popcornTrip पर देख सकते हैं।), कोसी नदी आदि हैं। यहाँ आप कोसी से ट्रैकिंग कर के भी पँहुच सकते हैं और उसी दिन वापसी भी कर सकते हैं।

 

Haldwani to Tanakpur Journey

हल्द्वानी, नैनीताल जिले का एक प्रमुख नगर होने के साथ साथ कुमाऊँ के प्रवेश द्वारा के रूप में भी जाना जाता है। और टनकपुर नगर चंपावत जिले का नेपाल सीमा में बसा एक प्राचीन भारतीय नगर है। इस यात्रा संस्मरण और विडियो में इन्हीं दो स्थानों के बीच सड़क यात्रा का विवरण।
Poppcorn Trip के इस सफ़र के लिए उत्तराखंड में कुमाऊ में हल्द्वानी से सितारगंज/ खटीमा सहित विभिन्न पड़ावों से होकर चम्पावत, लोहाघाट, पिथोरागढ़ जनपद के भ्रमण का कार्यक्रम बनाकर, हमने अपनी यात्रा आरम्भ की।

हल्द्वानी से सितारगंज के लिए Roadways स्टेशन से आगे होते हुए गौला नदी के पुल को पार कर हल्द्वानी गौलापार क्षेत्र में पहूचे, यहाँ से हल्द्वानी का व्यस्त क्षेत्र पीछे छूटता जाता है, इसी मार्ग मे हमें दिखा – अंतरराष्ट्रीय स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स, हल्द्वानी का स्टेडियम।

कुछ और आगे जाने पर हम पँहुचे नवाड़ खेड़ा तिराहे पर जहां से एक रोड हल्द्वानी, जहां से हम आए थे – दूसरी काठगोदाम और और तीसरी रोड से सितारगंज की ओर जा सकते है।

यहाँ से आगे दिखती है खुली सड़के, प्राकर्तिक वातावरण, हरियाली, कहीं किनारे के खेतों मे हरी – भरी लहलहाती फसलें और काम करते कृषक। मुख्य सड़क में लगे बोर्ड – बीच – बीच में आवश्यक जानकारी देकर अपनी भूमिका निभाते।

रोड के किनारे दिखते – कुछ फार्म और दूर – दूर बने घर, किसी पेंटर को उसके अगले मास्टरपीस के लिए प्रेरणा देते।

आगे बढ़ते हुए, मार्ग से दिखने वाले वाले छोटे -छोटे गाँव, कहीं सड़क के किनारे मंदिर, कहीं फलों या फूलों के विविध रंग, कहीं आपस मे संवाद करते पशु और ग्रामीण जीवन। सड़क पर सरपट दौड़ते वाहन दोनों और वनों से घिरी सड़क।

आगे चलते हुए हम पँहुचे चोरगलिया, जिसे नन्धौर वन्य अभयारण्य नाम से भी जाना जाता है। जहां वन विभाग से अनुमति लेकर wildlife सफारी की जा सकती है।

कुछ स्थानीय जानकार कहते है कि – चोरगलिया का सही नाम चार गलियाँ था, जो बिगड़ कर चोरगलिया हो गया। जबकि कुछ लोगों का मानना है कि कभी इस सुरम्य घने जंगलों वाले मार्ग में चोर डाकुओं की बहुतायत थी, इसलिए इस क्षेत्र का नाम चोरगलिया पड़ा।

यहाँ से आगे सितारगंज रोड मे आगे बड़े, जो यहाँ से 23 किलोमीटर दूर है। सितारगंज रोड में ही सिडकुल का इंडस्ट्रियल एरिया मिलता है।

https://youtu.be/T-8K2WhjSzQ

संगीत प्रेमियों को झंकार देने वाले वाद्य यंत्र सितार से शुरू होने वाले उधम सिंह जनपद का प्रमुख स्थान सितारगंज समुद्र तल से 298 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

सितारगंज की मुख्य बाज़ार में जाना हो तो मुख्य चौराहे से दाई और जाकर बाज़ार में पंहुचा जा सकता है – यहाँ सभी तरह की दुकाने, शो रूम मिल जाते है. बाज़ार का केंद्र है पीपल चौराहा – बाज़ार का सबसे पुराना इलाका – इसी के इर्द गिर्द बाज़ार का विस्तार हुआ। बाज़ार की रोड से मुख्य हाई वे की और वापस आते कई सरकारी कार्यालय. स्कूल दिखाई देते है। कुछ देर बाज़ार में घुमकर वापस हम मुख्य हाई वे में पंहुचे अपने अपने सफ़र को जारी रखने के लिए।
सितारगंज से खटीमा रोड में हमें एक तिराहा दिखा, जहां से बायीं ओर को जाता मार्ग नानकमतता को और दाहिनी ओर को जाता मार्ग खटीमा के लिए है। गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब की दूरी 1.5 किलोमीटर है। नानकमत्ता स्थित गुरुद्वारा पर हम पूर्व में विडियो बना चुकें हैं, जो आप youtube में “Nanakmatta PopcornTrip” लिख के देख सकते हैं।

https://youtu.be/yNqftnqQjFA


नानकमत्ता से आगे मिलती है – प्रतापपुर चौकी, और यहाँ से कुछ आगे ही स्थित है झनकट।

अपनी यात्रा मे आगे बढ्ने के लिए दायी ओर मुख्य हाईवे पर बने रहे। सितारगंज से 11 किलोमीटर के बाद, एक सुंदर स्थान मिलता है – झनकट। इस स्थान की एक विशेषता यह है कि – जहां समान्यतः किसी भी शहर में लोग हाई वे से बाइपास होकर अगले स्थान के लिए निकल जाते है – वहीँ झनकट की मुख्य बाज़ार हाइवे के दोनों और बसी है – मुख्य हाइवे और जो all weather रोड के रूप में भी विकसित हो रही के किनारे बाज़ार होने कारण लोगों को बाजार में चौड़ी सड़कें और पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ मिल जाते हैं। इसलिए इस छोटे से बाज़ार से गुजरने का अनुभव अनूठा है।

झनकट में हाइवे के किनारे – यहाँ के फास्ट फूड के कुछ स्टॉल। और सड़क के दोनों और स्थित लगभग सभी तरह की दुकाने है, जहां से स्थानीय लोग ख़रीददारी करते हैं.

यहाँ खेती के लिए उपजाऊ जमीन का महत्व इस बात से लगा सकते है कि – इस छोटे से स्थान में 8 राइस मिल है।

झनकट के बाद खटीमा/ टनकपुर मार्ग में मिला इस रूट मे पहला टोल गेट, जहां से FastTAg द्वारा टोल शुल्क दे कर हम आगे बड़े। इस मार्ग मे सड़क मे अच्छी गति से वाहन चलाया जा सकता है। झनकट से 20 किलोमीटर की दूरी पर है – खटीमा। खटीमा, उधम सिंह नगर का एक प्रमुख नगर।

खटीमा उत्तराखंड निर्माण की मांग करते हुए 1994 में शहीद हुए आंदोलनकारियों की भूमि के रूप मे भी जाना जाता है। यहाँ की बाज़ार मे सीमावर्ती राज्य नेपाल के भी लोग खरीददारी करने आते है।

खटीमा क्षेत्र में पर्यटको को आकर्षित और पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने उत्तराखंड के पहले मगरमच्छों के पार्क का लोकार्पण किया। यहाँ 150 से अधिक क्रोकोडाइल हैं। एक दिसम्बर 2021 से यहाँ crocodile पार्क आरंभ हुआ। यहाँ आगुन्तुक जान सकेंगे कि मगरमच्छ कैसे रहते हैं, कैसे तैरते हैं, कैसे खाते हैं, कैसे सोते हैं, कैसे अपने भोजन के लिए शिकार करते हैं।

खटीमा की सीमा से बाहर आते हुए हुए वनखंडी महादेव मंदिर परिसर में स्थित है – 116 फीट ऊंची भगवान शिव की मूर्ति, संभवतः यह उत्तराखंड की सबसे ऊंची मूर्ति है।
खटीमा से 15 किलोमीटर की दूरी पर है बनबसा। बनबसा अपनी प्राकर्तिक सुन्दरता लिए जाना जाता है। प्रसिद्ध शारदा नहर का उद्गम भी बनबसा से ही हुआ है। बनबसा का मुख्य आकर्षण केन्द्र अंग्रेजों के समय बना बनबसा पुल व बनबसा पुल पर स्थित पार्क है।
बनबसा से हम चंपावत जनपद में है। यहाँ से नेपाल के लिए भी सड़क मार्ग से जा सकते है। कुछ समय पहले हम बनबसा से ही महेन्द्रनगर जिसे अब भीमदत्त कहते है से नेपाल गए थे।

अपने वाहन द्वारा नेपाल में प्रवेश की जानकारियों सहित नेपाल में महेंद्र नगर से काठमांडू और पोखरा की ट्रेवल गाइड पूर्व में पॉपकॉर्न ट्रिप में बना चुके हैं, जिसे आप PopcornTrip youtube channel में देख सकते हैं।
बनबसा से आगे बढ़ते हुए आता है टनकपुर। बनबसा से टनकपुर की दुरी 10 किलोमीटर है. टनकपुर, चंपावत और पिथौरागढ़ का प्रवेशद्वार है। शारदा नदी के किनारे बसा टनकपुर – धार्मिक, सांस्कृतिक, व्यापारिक महत्व के साथ सौन्दर्य प्राकृतिक के लिए उत्तराखंड के महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह चंपावत जनपद अंतिम रेलवे स्टेशन है। पहाड़ी स्थानों को लौटते लोगों और पर्यटक के लिए यहाँ कई होटेल्स और गेस्ट हाउस है।
नेपाल के साथ देश के विभिन्न स्थानों के लिए टनकपुर से रोडवेज़ की बस सेवाएँ है। यहाँ की बाज़ार मे सभी तरह की दुकाने है। जिनमे स्थानीय लोगो की जरूरत का समान मिल जाता है।

टनकपुर बस स्टेशन से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर से एक सड़क पूर्णागिरी मंदिर की ओर जाती है। पूर्णागिरी मंदिर यात्रा पर भी पूर्व मे पॉप्कॉर्न ट्रिप चैनल मे video बना चुके है, जिसे youtube में पॉपकॉर्न ट्रिप पूर्णागिरी टाइप कर सर्च किया जा सकता है।

https://youtu.be/_7WCEaN60RM

इसी तिराहे के पास टनकपुर मे नन्धौर वन्य अभयारण्य का ककराली गेट है। इसका एक गेट हमने इसी video मे चोरगलिया मे देखा था।
मैदानी सड़क में सफ़र यहीं तक इसके आगे की यात्रा पहाड़ी घुमावदार मोड़ों से हुए होते आगे बढेगी, यात्रा के अगले भाग में यहाँ से चम्पावत की यात्रा रास्ते के खुबसूरत लैंडस्केप के साथ देखेंगे – श्यामलाताल को, जहाँ एक खुबसूरत ताल है, और जहाँ कभी स्वामी विवेकानंद भी आये थे।

आशा है आपको ये लेख पसंद आया होगा। विडियो देखें PopcornTrip चैनल में।

शीतला देवी मंदिर दर्शन, रानीबाग, काठगोदाम, हल्द्वानी

ग्वालदम – खूबसूरत पहाड़ी कस्बा, यहाँ से बधानगढ़ी मंदिर का ट्रेक

Jhakar Saim Devta Temple

पूर्णागिरी देवी का मंदिर टनकपुर

वैसे तो इस पवित्र शक्ति पीठ के दर्शन हेतु श्रद्धालु वर्ष भर आते रहते हैं। परन्तु चैत्र मास की नवरात्रियों से जून तक श्रद्धालुओं की अपार भीड दर्शनार्थ आती है। चैत्र मास की नवरात्रियों से दो माह तक यहॉ पर मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें श्रद्धालुओं के लिए सभी प्रकार की सुविधायें उपलब्ध कराई जाती हैं।

कर्णप्रयाग Guide

कर्णप्रयाग, उत्तराखंड का एक प्रमुख ऐतिहासिक नगर है। उत्तराखंड के महत्त्वाकांक्षी और महत्वपूर्ण All Weather Road का एक प्रमुख पढ़ाव भी है। जानिए कर्णप्रयाग के इतिहास, आकर्षण, कैसे यहाँ पहुचें आदि के साथ ढेरों जानकारियाँ…

गैरसैंण – उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी

गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में मान्यता मिलना, उत्तराखंड के अपेक्षाकृत कम विकसित – पर्वतीय भूभाग के विकास के लिए अच्छी शुरुआत हो सकती हैं। आइये देखें कैसा हैं – गैरसैण।