अगर आप अपनी रूटीन लाइफ से अलग कुछ दिन हट के एक अलग शांत और शुद्ध वातावरण में बिताना चाहते हैं, तो आज आप जानेगे एक ऐसे ही स्थान के बारे में। जहां आपको पहुचने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी। निकतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम से लगभग 130 किलोमीटर (लगभग 4 से 5 घंटे की) की दूरी पर अल्मोड़ा...
वैसे तो इस पवित्र शक्ति पीठ के दर्शन हेतु श्रद्धालु वर्ष भर आते रहते हैं। परन्तु चैत्र मास की नवरात्रियों से जून तक श्रद्धालुओं की अपार भीड दर्शनार्थ आती है। चैत्र मास की नवरात्रियों से दो माह तक यहॉ पर मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें श्रद्धालुओं के लिए सभी प्रकार की सुविधायें उपलब्ध कराई जाती हैं।
कर्णप्रयाग, उत्तराखंड का एक प्रमुख ऐतिहासिक नगर है। उत्तराखंड के महत्त्वाकांक्षी और महत्वपूर्ण All Weather Road का एक प्रमुख पढ़ाव भी है। जानिए कर्णप्रयाग के इतिहास, आकर्षण, कैसे यहाँ पहुचें आदि के साथ ढेरों जानकारियाँ...
गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में मान्यता मिलना, उत्तराखंड के अपेक्षाकृत कम विकसित - पर्वतीय भूभाग के विकास के लिए अच्छी शुरुआत हो सकती हैं। आइये देखें कैसा हैं - गैरसैण।
इस विडियो टूर मे हैं - उत्तराखंड के एक छोटे से हिल स्टेशन ग्वालदम से बधानगढ़ी मंदिर का ट्रेक, जानेंगे यहाँ कैसे जाते हैं।
उखीमठ - चोपता मार्ग में उखीमठ से लगभग 4 किलोमीटर, और चोपता से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तिराहा, और इस तिराहे से 4 किलोमीटर दूर हैं - सारी विलेज।
छोलिया (या छलिया) उत्तराखंड के कुमायूँ क्षेत्र में प्रचलित एक प्रसिद्ध नृत्य शैली है। यह मूल रूप से एक विवाह के समय जाना वाला तलवार नृत्य है, जिसे कई अन्य कई शुभ अवसरों पर भी किया जाता है।
ये है नानकमत्ता, आज से लगभग 500 वर्ष पूर्व सन 1514 ईस्वी यहाँ गुरुनानक देव आए थे। आज हम Explore करेंगे इसी स्थान को। जानेंगे यहा आप कैसे आ सकते हैं, यहाँ का इतिहास, यहाँ का महत्व, यहाँ कौन से जगह में क्या स्थित है, कहाँ आप भोजन कर सकते हैं, कहाँ रात्री विश्राम कर सकते हैं।
भगवान शिव के एक रूप - बागनाथ जी का स्थान - बागेश्वर - उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ की धार्मिक नगरी और तीर्थस्थल के रूप में सुप्रसिद्ध हैं। बागेश्वर भ्रमण के साथ भगवान श्री बागनाथ जी के दर्शन करें - इस वीडियो टूर द्वारा।
भगवान तुंगनाथ जी की डोली - शीतकाल में तुंगनाथ के कपाट बंद होने के बाद मक्कु में लायी जाती है। और यहाँ के प्रसिद्ध मक्कुमठ में स्थापित की जाती है।