उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में एक खूबसूरत स्थान है अल्मोड़ा। विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल नैनीताल से लगभग 72 किलोमीटर और 2 घंटे का सफर तय कर आप अल्मोड़ा पहुँच सकते हैं।
अल्मोड़ा नगर से निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम लगभग 85 किलोमीटर और निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर लगभग 110 किलोमीटर दूर है।
अल्मोड़ा जिला मुख्यालय होने की साथ साथ ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी है। नगर के हर हिस्से में कई मंदिर स्थित हैं। नगर के साथ साथ जिले भर में भी कई ऐतिहासिक स्थल और मंदिर है। इन्ही में एक प्रसिद्ध मंदिर है गोलु देवता को समर्पित – चितई गोलु देवता का मंदिर। चितई मंदिर दर्शन के लिए आपको पहले अल्मोड़ा नगर में आना होता है। और फिर अल्मोड़ा नगर से चितई पहुंचने के लिए दो मार्ग हैं। एक via धारानौला, फलसिमा बैंड होते हुए, दूसरा अल्मोड़ा मुख्य स्टेशन से जाखनदेवी, पातालदेवी होते हुए। यद्यपि इन दोनों मार्गों के अलावा पैदल यात्रीयों और दुपहिया वाहनों के लिए तीसरा मार्ग विकल्प भी है, जो अल्मोड़ा माल रोड स्थित मुख्य स्टेशन से होटल शिखर स्थित तिराहे से एलआर शाह मार्ग (L R Shah Road) में पोखरखाली होते हुए है।
उपरोक्त तीनों मार्ग NTD के समीप आपस में मिलते हैं। जहां से दनिया, जागेश्वर, पिथोरागढ़ मार्ग में आगे बढ़ना होता है।
अब वापस लौटते है यात्रा के प्रारम्भ में।
इस यात्रा का हमने आरंभ किया अल्मोड़ा मुख्य नगर से, जिसमें लगभग 9 किलोमीटर की दूरी तय कर पातालदेवी, शैल बैंड, एनटीडी (NTD) होते हुए हम पहुंचे चितई बाजार, जहां अपना वाहन पार्क कर, बाजार से ही प्रसाद सामग्री ले कर गोलु देवता के दर्शन किए।
गोलु देवता के दर्शन कर मन को अत्यंत शांति का एहसास होता है। सम्पूर्ण मंदिर परिसर घण्टियों से भरा पड़ा है।
साथ ही यहाँ श्रद्धालु अपनी मनोकामना पत्र में लिख गोलु देवता से उन्हे पूर्ण करने का आशीर्वाद भी मांगते है। इस के लिए चिट्ठी लिख यहाँ भक्तों द्वारा चुनरी के साथ यहाँ टाँगी जाती है। और मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु चुनरी उतार कर धन्यवाद के भावना से यहाँ घंटी अर्पित करती हैं, पूरे मंदिर परिसर में आपको ये पत्र, चुनरियाँ और घंटियाँ दिख जाती हैं।
साथ ही यहाँ विवाह आदि संस्कार भी सम्पन्न कराएं जाते हैं।
मंदिर परिसर में कई बंदर भी पाये जाते हैं, ये आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। इनसे घबराने की आवश्यकता नहीं। , सिर्फ पेट की भूख मिटाने के लिए ये आपसे परसाद आदि झपट सकते हैं। आप चाहे तो इनके लिए कुछ केले या अन्य कोई फल आदि खरीद के इन्हे दे सकते हैं, आखिर भूख तो सभी को लगती है।
चितई मंदिर से ही लगे हुए, चितई बाजार में आपको जलपान और विश्राम करने के लिए कई रैस्टौरेंट/ जलपान गृह दिख जाते हैं। साथ ही चितई से भेट और यादगार स्वरूप तस्वीरें, ताबीज आदि भी आपको चितई बाजार में मिल जाती हैं। चितई से वापसी कर श्रद्धालु ड़ाना (कुमाऊनी शब्द जिसका अर्थ होता है पहाड़ या उचाई पर स्थित) गोलज्यु के भी दर्शन करते हैं।
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देखिये कैसे अल्मोड़ा नगर से चितई मंदिर पहुचे, मंदिर दर्शन, मंदिर से जुड़ी जानकारियाँ और किवदंतियाँ, साथ ही चितई मंदिर से अल्मोड़ा वापसी के मार्ग में आने वाला मंदिर डाना गोलज्यु मंदिर के बारे में…
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