पिथौरागढ़ से धारचूला की यात्रा

इस लेख में है –  पिथौरागढ़ से धारचूला की सड़क यात्रा का विवरण। धारचूला जहां पंचाचुली, आदि कैलाश और ओम पर्वत आदि यात्राओं के लिए मेडिकल जाँच होती है, और इनर लाइन पास बनता है। धारचूला से ही नेपाल विजिट भी किया जा सकता है, एक सेतु को पार कर।

देखिए अल्मोडा से पिथौरागढ़ का सफ़र

1,627 मीटर (5,338 फीट) की ऊंचाई पर स्थित पिथौरागढ़ से 940 मीटर (3084 फीट) ऊंचाई वाले धारचूला के लिए उतरने लगे। जैसे-जैसे हम आगे बड़े मौसम थोड़ा गर्म होने लगा, ऊंची पहाड़ियों से घिरी हुई घाटी नुमा स्थान की सड़कों के बीच से। पिथौरागढ़ से धारचूला तक यह यात्रा 92 किलोमीटर की थी, जिसे तय करने में सामान्यतः तीन से चार घंटों समय लगता है। 

पिथौरागढ़ शहर के केंद्र से लगभग 5-6 किलोमीटर बाद, बायीं ओर, एक सड़क थल होते हुए बागेश्वर और मुनस्यारी के लिए जाती मिली, हम दाहिनी ओर मुड़ गए जो हमें धारचूला के की और ले जाती थी।

आह, घुमावदार पहाड़ी रास्तों पर यात्रा करने का आश्चर्य! यद्यपि पहाड़ी सड़कों में यात्रा थकान पैदा कर सकती है, लेकिन प्रकृति के बदलते दृश्य एकरसता से बोर नहीं होते देते।

जैसे ही हमने अपनी आरामदायक सीट की खिड़की की सीट से बाहर देखा, विचारों की एक लय हमारे दिमाग में नाचने लगी। प्रकृति के साथ रहने पर तृप्ति का भाव होता है, जैसे सब कुछ पास है, और प्रकृति से दूर होने पर भौतिक जीवन के जितना पास जायें और कितना कुछ भी हो लेकिन फिर भी दिखता है सिर्फ़ अभाव। 

पहाड़ी सड़कों में मार्ग घुमावदार तो होते हैं, लेकिन प्राकृतिक दृश्य हर कुछ किलोमीटर के बाद बदलते रहते है, और जिससे एकरसता या बोरियत नहीं होती,  प्राकृतिक दृश्यों के आकर्षण, सफ़र की थकावट को भी कम करते रहते है। 

हरे-भरे हरियाली के बीच से झांकते अनोखे पहाड़ी आवास, हमें उनकी दीवारों के भीतर रहने वाले जीवन और कहानियों की कल्पना करने के लिए प्रेरित करते हैं। 

अपने परिवेश की अलौकिक सुंदरता में खोए हुए, हमने पहाड़ियों के मध्य बनाने वाली आभासी आकृतियों की खोज करनी शुरू दी, जैसे कि प्रकृति स्वयं हमारी कल्पनाओं के साथ लुका-छिपी का एक आकर्षक खेल खेल रही हो। 

लेकिन जैसे ही हम इन मनमौजी सोच में डूबने लगे, एक आती हुई गाड़ी के तेज हॉर्न ने हमें हमारी ख़यालों से झकझोर दिया। चौंककर, हम वर्तमान में लौट आए, लेकिन फिर प्रकृति का नया रंग देखने को मिला जिसने हमारा ध्यान आकर्षित किया। प्रकृति, कितनी अद्भुत क्रिएटर है – जो नए मनोरम रूप दिखाने के साथ, मौसम और रंग बदल कर हर पल ऐसा दृश्यों का ऐसा संयोग प्रस्तुत करती है, जैसा पहले किसी ने न देखा हो, और शायद दोबारा भी नहीं देख पायेगा।

हमारी यात्रा हमें कनालीछीना क़स्बे तक ले आयी, पहाड़ियों के बीच ये एक खुला स्थान है, पिथौरागढ से लगभग 25 किलोमीटर दूर। यहां, व्यस्त बाजार और एक सुविधाजनक आवासीय क्षेत्र के बीच, यह छोटा खूबसूरत स्थान बहुत खुला होने के कारण यहाँ रहने के लिए भी सुविधाजनक है, यहाँ का आवासीय क्षेत्र देखकर ऐसा लगता है। कनालीछीना पिथौरगढ़ जनपद की एक तहसील भी है। कनाली छीना पिथौरागढ़ के बाद पिथौरागढ़ धारचूला रोड में सबसे बड़ी बाज़ार। 

आबादी क्षेत्र समाप्त होने के बाद कनालीछीना से 1 किलोमीटर बाद, बायीं और सड़क है देवलथल के लिए जो कि यहाँ से १६ किलोमीटर है। कुछ किलोमीटर सड़कों में चलने के बाद ओगला मार्केट ने जल्द ही अपने जीवंत माहौल से आकर्षित किया। 

मार्ग में है जौलजीबी, जो कि पिथौरागढ़धारचूला मार्ग का एक प्रमुख पड़ाव। सड़क से नीचे की और काली नदी और गोरी नदी का संगम, उस पार अपने पड़ोसी देश –  नेपाल का भू भाग, सुंदरता पूरे परिदृश्य में बिखरी हुई है। 

जौलजीबी की बाज़ार और टैक्सी स्टैंड। मार्केट के एक सिरे पर पोस्ट ऑफिस। मार्केट से कुछ आगे बढ़ने पर सड़क से नीचे दायी  ओर जौलजीबी  का राजकीय इंटर कॉलेज का गेट। 

जौलजीबी छोटा सा खूबसूरत एवं सुंदर क़स्बा, इस स्थान का सांस्कृतिक और व्यापारिक महत्व भी है, यहाँ काली और गोरी नदियों का संगम है। यहाँ हर वर्ष नवम्बर में भारत नेपाल के बीच बड़ा व्यापारिक मेला भी आयोजित होता है, जिसमे बड़ी संख्या में देश विदेश से लोग पहुँचते है।

इस रोड से आगे बढ़ते हुए, बलुवाकोट पहुँच गये। प्राकृतिक सौंदर्य की पृष्ठभूमि में यह हलचल भरा बाजार, यहाँ अस्पताल, पुलिस स्टेशन, स्कूल, डिग्री कॉलेज और बैंक जैसी सुविधाएँ है। सड़क के समानांतर नीचे की ओर काली नदी बहती है, और नदी के दूसरी और अपनी सुंदरता से नेपाल भी मन मोहता रहता है।  

पहाड़ों पर हम सड़क बना सकते है, लेकिन बारिश को कई बार यह आता, और ऊपर से कुछ मलबा या बोल्डर सड़क में आकर अवरोध के रूप में आ जाते है, और इस सड़क में मलवा आने की वजह से कुछ देर मार्ग अवरुद्ध रहा, रास्ता खोलने के लिए काम करते श्रमिकों और जेसीबी/ मैकिनिकल मशीनों के सहारे मार्ग को पुनः सुचारू कर दिया। धूल का ग़ुबार सड़क पर चलते काम की वजह से 

कुछ आगे जाने पर, फिर से सड़क में ट्रैफिक में ट्रैफ़िक रोका गया था, लेकिन यहाँ सड़क में अवरोध नहीं नयी सड़क का काम चल रहा था, बधाई हो, जिन्हें भी इससे लाभ मिले।

फिर मिला कालिका। और उसके बाद निंगालपानी।

धारचूला से लगभग 1 किलोमीटर पहले बायीं जाती सड़क – तवाघाट – लिपुलेख रोड, जिससे नारायण आश्रम, पंचाचुली, आदि

कैलाश, ओम पर्वत आदि स्थानों के लिए जा सकते है। लेकिन उससे पहले इनर लाइन परमिट होना ज़रूरी है, जिसे धारचूला से बनाया जा सकता है। वैसे यह ऑनलाइन भी बन जाता है, प्रक्रिया को जानने के साथ, इस ट्रिप में कितना खर्च होता है, किस समय यात्रा करनी होती है, क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए, क्या चुनौतियाँ आ सकती है, सहित आदि कैलाश की यात्रा करेंगे अगले भाग में।

हम बढ़ रहें है नेपाल मार्ग में, अपने गेस्ट हाउस में चेक इन करने। हमारी बुकिंग KMVN के धारचूला स्थित गेस्ट हाउस में थी, जो की नेपाल रोड में स्थित काली नदी के तट के समीप स्थित है। हम KMVN के आदि कैलाश यात्रा 16वे ग्रुप के यात्रियों में शामिल थे।

 

गेस्ट हाउस से नेपाल का भूभाग भी दिखता है, यहाँ से नेपाल का हिस्सा जो दार्चुला नाम से जाना जाता है, पुल पार कर पहुँचा जा सकता है, धारचूला और दार्चुला पर लेख फिर कभी। अभी चेक इन के बाद लंच और फिर मेडिकल और इनर लाइन पास के लिए प्रक्रिया होनी है। कैसे होती है, जानेंगे अगले भाग में। अब रोमांच और अध्यात्म के अनोखे अनुभव को हमारे साथ जानने के लिए रहिए तैयार। लेख पढ़ने और इस सीरीज का हिस्सा बने रहने के लिए धन्यवाद, अगर आपने पिछले दो भाग भी देखे है, तो कमेंट में बताइएगा।

धन्यवाद।

अल्मोडा से चितई व जागेश्वर मंदिर दर्शन करते हुए पिथौरागढ़ का यात्रा वृतांत

अल्मोडा उत्तराखण्ड का सांस्कृतिक, ऐतिहासिक मायने से महत्वपूर्ण नगर और उत्तराखंड का सीमांत जनपद पिथौरागढ़ जो अपने विविध महत्वपूर्ण पर्यावरणीय संपन्नता समेटे हुए है। पिथौरागढ़ से कई उच्च हिमालयी क्षेत्रों और ग्लेशियर्स के ट्रैक्स किए जा सकते हैं, river sports के लिए अनुकूलता लिए नगर। इस लेख में है, इन दोनों नगरों की सड़क यात्रा की जानकारी।

पिछले लेख में, हल्द्वानी जो कि कुमाऊँ का प्रवेश द्वार के नाम से जाना जाता है, जहां से कई पहाड़ी क्षेत्रों जैसे अल्मोडा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, रानीखेत, मुक्तेश्वर, बिनसर सहित अन्य कई स्थानों के लिए मार्ग है, और अल्मोडा जो उत्तराखण्ड का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्मृति चिन्ह समेटे हुए है, पहुँचने का यात्रा वृतांत था, अब आगे।

अल्मोडा नगर के धारानीला स्टेशन से पिथौरागढ़ को नियमित जाने वाली बस और टैक्सी आदि मिलती है।

अल्मोड़ा के नाम से जुड़ी है बाल मिठाई, चाकलेट और सिंगौड़ी को अलमोड़ा की मुख्य बाज़ार के अलावा यहाँ से ख़रीद सकते है, इनको बनानें में मिल्क प्रॉडक्ट्स का उपयोग होता है, तो इनके बेस्ट टेस्ट के लिए इन्हें 2-3 दिन के अंदर कंज्यूम करना ठीक रहता है।

धारानौला में रात्रि विश्राम करना हो, यहाँ कुछ होटल भी मिल जाएँगे, यहाँ ख़ान पान के लिए भी कई रेस्टोरेंट है।

चलने फिरना पसंद करते हो, तो  धारानीला से पटाल बाज़ार तक 15 – 20 मिनट में चढाई में ट्रेक कर पहुँच सकते है। और पटाल बाज़ार –  अल्मोडा की मुख्य बाज़ार है, लगभग 2 किमी लंबी बाज़ार में टहलते – टहलते शॉपिंग का भी आनद ले सकते है और अल्मोड़ा की ऐतिहासिक भवनों को देखते हुए, कुमाऊँ के इतिहास को अपने सामने देख कर महसूस कर सकते हैं।

अल्मोड़ा से पिथौरागढ़ 114 किलोमीटर है। धारानौला का बाज़ार का क्षेत्र ख़त्म होने के तुरंत बाद एक तिराहा दिखता है – सिकुड़ा बैंड, यहाँ से यू टर्न लेती दाहिनी ओर को जाती सड़क से जलना, लमगड़ा और उससे आगे जा सकते हैं, और सीधे आगे जाती सड़क से पिथौरागढ़ की ओर, यहाँ से सड़क हल्की चढ़ाई लिए है। इसी सड़क में मिलता – एक सुंदर व्यू पॉइंट है – फ़लसिमा, जहां से देख सकते है – अल्मोडा का विहंगम दृश्य और दूर तक फैली घाटियाँ। फ़लसीमा बेंड को पार करने के बाद दिखता है एक कलात्मक भवन – जो जाना जाता है –  उदयशंकर नाट्य अकैडमी के नाम से।

इस रोड पर आगे चलते हुए NTD तिराहे – बाद सड़क से ऊपर, बायीं ओर है, अल्मोड़ा  का जू, यहाँ तेंदुए, मृग सहित वन्य जीव देखे जा सकती हैं।

अल्मोड़ा  नगर से लगभग 8 -9  किलोमीटर की दूरी पर स्थित है –  स्थानीय निवासियों के धार्मिक आस्था का पवित्र स्थल चितई, जो अपने न्याय के लिए प्रसिद्ध गोलू देव को समर्पित है।

अलमोड़ा – पिथौरागढ़ रोड से लगा, मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार, मंदिर के बाहर सड़क के किनारे प्रसाद, पुष्प, घंटियाँ अन्य सामग्री ख़रीदी जा सकती है। चितई में जलपान के साथ ठहरने के लिए कुछ गेस्ट हाउस दिखते है।

चितई मदिर स्थित गोलू देवता न्याय के देवता के रूप में जाने जाते हैं, लोग यहाँ अपनी प्रार्थनापत्रोंचिठ्ठियों में लिख, यहाँ टाँगते हैं, जो बड़ी बड़ी संख्या में देखी जा सकती है, मान्यता है किपवित्र और सच्चे हृदय से लिखी गई प्रार्थनाएँ यहाँ अवश्य स्वीकार होती हैं, श्रदालु यहाँ घंटियाँ, चुनरी भी अर्पित करते हैं।

इस मंदिर के चारों और अनगिनत घंटियाँ लगी दिखती हैं। कई विशेष अवसरों पर भक्तों द्वारा यहाँ भंडारा भी आयोजित कराया जाता है। मंदिर से कुछ मीटर आगे जाकरवाहनों के लिए बड़ा पार्किंग स्थल है। 

चितई से आगे सड़क ढलान लिए है, चितई से आगे 6 किमी बाद हैं –  छोटा सुंदर क़स्बा पेटशाल, पेटशाल से लगभग 1 किलोमीटर पर लखुउडयार शैलाश्रय prehistoric cave। यहाँ गुफानुमा चट्टान में की गई चित्रकारी आदि काल के मानवों द्वारा की गई है। लखुउडयार पर बना डेडिकेटेड वीडियो YouTube.com/PopcornTrip में देख सकते हैं।

अलमोड़ा – पिथौरागढ़ मार्ग में अगला स्थान मिलता है  – बाड़ेछीना। समुद्र तल से 1,415 मीटर की उचाई पर स्थित यह आस पास के गाँव के लिए बाज़ार हैं। बाड़ेछीना में बुनियादी ज़रूरत का सभी समान उपलब्ध हो जाता है,  यह एक उपजाऊ क्षेत्र है यहाँ ग्रामीणों द्वारा खेती होते देखी जा सकती है।

बाड़ेछीना के बाद मिलने वाले एक तिराहे से बायीं से धौलछीना, शेराघाट, बेरीनाग, चौकोड़ी, मुन्स्यारी आदि स्थानों को जा सकते है, और सीधी जाती सड़क है पिथौरागढ़ के लिए।

बाड़ेछीना से 11 किलोमीटर की दूरी पर पनुवानौला, यह घनी आबादी वाला क्षेत्र हैं, यहाँ काफी दुकानें, रैस्टौरेंटस आदि हैं।

पनुवानौला से लगभग दो किलोमीटर आगे हैआरतोला। यहाँ तिराहे से बायीं और जाती सड़क से 3 किलोमीटर की दूरी पर है भगवान शिव को समर्पित प्रांचीन जागेश्वर धाम और सीधा जाती सड़क पिथौरागढ़ के लिए है।

जागेश्वर मंदिर से समीप एक म्यूजियम भी है, जहां मंदिर से जुड़ी मूर्तियाँ और मंदिर से जुड़े विभिन्न प्रतीक रखे गये हैं।

जागेश्वर कई छोटे बड़े मंदिरों, जो कि  नौवीं से ग्याहरहवीं सदी के बीच, कत्यूरी शासन काल में निर्माण हुआ था का समूह है। इनमें से कुछ हैं महामृत्युंजय मंदिर, श्री जागेश्वर ज्योतिर्लिंग। यहाँ मंदिरों में काफी बारीक, उत्कृष्ट और आकर्षक नक्काशी की गई है। ये मंदिर प्रागण में एक ताल, जिसमें ब्रहम्मकमल के फूल दिखते हैं।

 

जागेश्वर मंदिर समूह के साथ ही यहाँ जागेश्वर मंदिर से समीप ही कुबेर देवता और चण्डिका देवी को समर्पित मंदिर भी स्थित हैं।  जागेश्वर आने वाले श्रद्धालु यहां भी अवश्य आते हैं। कुबेर भगवान धन और संपदा के प्रदानकर्ता माने गए हैं।

जागेश्वर मंदिर में कुछ समय व्यतीत कर, लंच जागेश्वर के कुमाऊँ मण्डल विकास निगम के गेस्ट हाउस में लिया।  आदि कैलाश यात्रा की यह यात्रा हम KMVN के १६ वे ग्रुप के साथ कर रहे है,  वापस लौटे अपना सफ़र जारी रखने के लिए। और मार्ग में फिर वही दण्डेश्वर मंदिर जिसे हमने आते समय भी देखा था। श्रद्धालु यहाँ भी रुक इस मंदिर के दर्शन करते हैं।

जागेश्वर मंदिर के दर्शन कर, उसी मार्ग से ३ किलोमीटर वापस आरतोला लौट अलमोड़ा पिथौरागढ़ मार्ग में फिर से अपना सफ़र जारी रखा। यहीं से एक सड़क के बायीं ओर झाकरसैम मंदिर, इस पर बना वीडियो भी PopcornTrip में देख सकते है।

आरतोला  से ४-५ किलोमीटर पर स्थित ये छोटा सा गाँव हैं गरुड़ाबांज। यहाँ सड़क के बाँज और अन्य चौड़ी पत्तियों वाले वृक्षों इस स्थान को अब तक के सफ़र में दिखने वाले वन क्षेत्रों से अलग बनाते हैं।

मार्ग में आने वाले कुछ स्टेशन है ध्याड़ी, बसौलीख़ान, पनार आदि। पनार में रामगंगा नामक नदी बहती है। पनार – पिथौरागढ़ मार्ग में पिथौरागढ़ से लगभग १३ किलोमीटर पूर्व गुरना माता का मंदिर है। यहाँ इस मार्ग से आने जाने वाले वाहन यहाँ माँ का आशीर्वाद प्राप्त कर अपने गंतव्य की और बड़ते हैं।

पिथौरागढ़ उत्तराखण्ड का सबसे लंबा अंतर्रास्त्रीय सीमा वाला ज़िला है, जिसकी सीमाएँ नेपाल और तिब्बत जो अब चीन का हिस्सा है, से लगी है।

देखें इस पर बना वीडियो 

आपको यह यात्रा सीरीज कैसी लग रही है, कमेंट करके बताइएगा।

हल्द्वानी से भीमताल, भवाली, कैंची होते हुए अल्मोडा का यात्रा वृतांत

हल्द्वानी कुमाऊँ का प्रवेश द्वार, जहां से कई पहाड़ी क्षेत्रों जैसे अल्मोडा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, रानीखेत, मुक्तेश्वर, बिनसर सहित अन्य कई स्थानों के लिए मार्ग है, और अल्मोडा जो उत्तराखण्ड का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्मृति चिन्ह समेटे हुए है।

हल्द्वानी – भीमताल रूट में आगे बड़े, हल्द्वानी और काठगोदाम से जैसे ही आगे बढ़े, चढ़ाई मिलने लगी, मार्ग में एक स्थान है – सलड़ी, जहां बस, टैक्सी, या आते जाते जाते यात्री भोजन जलपान के लिए रुकते है, अच्छी लोकेशन के साथ यहाँ सड़क के किनारे कई जल स्रोत है, जिनमे स्वच्छ मिनरल पानी का स्वाद लिया जा सकता है। यहाँ से काठगोदाम का दृश्य काफ़ी सुंदर नज़र आता है, अगर मौसम साफ़ और उसमे धुंध ना हो तो। 

हल्द्वानी से भीमताल 28 किलोमीटर के पर्यटकों के बीच लोकप्रिय स्थान है, यहाँ नैनीताल ज़िले की सबसे बड़ी झील है, यह मान्यता है कि इस झील का निर्माण द्वापर युग में भीम ने किया था। यहाँ ताल के एक सिरे पर भीम को समर्पित भीमेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। भीमताल के एक मार्ग नैनीताल ज़िले की ही एक अन्य खूबसूरत नौ कोनों वाले ताल नौकुचियाताल को जाता है। 

Bhimtal Uttarakhand

Bhimtal Uttarakhand

भीमतालभवाली मार्ग से हमारा सफ़र आगे बड़ा, भीमताल की इस चदाई से में खूटानी नाम के स्थान से दायी और जाती दायी ओर जाती सड़क स्थानीय क़स्बों जैसे पदमपुरी, धानाचूली, रामगढ़, मुक्तेश्वर को भी जाती है। 

खुटानी तिराहे से थोड़ा आगे आने पर बायीं और जाती यह सड़क ज़िले के एक और खूबसूरत ताल – सातताल तक ले कर जाती है। सातताल प्रकर्ति और पक्षी प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान है, जहां आम ज़िंदगी की दौड़ भाग से दूर शांति से दिन गुज़ारा जा सकता है। 

Bhowali

भवाली जो की भीमताल से लगभग ८-१० किलोमीटर की दूरी पर है, भवाली एक ठंडी जगह और आस पास के क्षेत्रों के लिए फलों की मंडी है। भवाली से पहाड़ों के कई स्थानों के लिए रॉड्स है, यहाँ से एक रोड नैनीताल को और एक दूसरा रोड ज्योलीकोट होते हुए हल्द्वानी को जाती है। भवाली से ढलान को जाती सड़क निगलाट होते हुए कैंची पहुँचती है, हमारे सफ़र का अगला पड़ाव। भवाली से कैंची की दूरी 8 किमी है। कैंची धाम, महान संत बाबा नीम करौरी जी के नाम से विख्यात है।

सोशल मीडिया में और दुनिया भर के सेलिब्रिटीज़ के बाबाजी पर आस्था रखने और उनके विजिट के बाद चर्चा में आने से पिछले कुछ समय में यहाँ आवाजाही काफ़ी बढ़ गई है। यहाँ देश और दुनिया भर से कई नामी हस्तियों ने बाबा के दर्शन किए हैं या उनके निर्वाण के बाद आश्रम में विजिट किया है। जिससे इस स्थान को प्रिंट और सोशल मीडिया में सुर्ख़ियों में रहने से यहाँ दर्शनार्थियों की आवाजाही लगी रहती है। मंदिर से समीप ही वाहनों के लिए पार्किंग और सड़क के दोनों और restaurant, गेस्ट house इत्यादि हैं।

Kainchi dham

कैंची से आगे जाते हुए रातीघाट, गरमपानी, खैरना होते हुए कुछ आगे बढ़ दो मार्ग दिखते हैं, जिसमें बायीं ओर जाती सड़क रानीखेत और सीधा अल्मोडा के लिये है, जहां से हमने आगे जाना है।कैंची के बाद कुछ ही मिनट्स में जिस क़स्बे में पहुचते है उसका नाम है खैरना, यह है खैरना की बाज़ार, यहाँ भी सीजनल फल और सब्ज़ियाँ उल्पब्ध हो जाती हैं। 

खैरना में सड़क के किनारे बहती नदी और उससे आगे पहाड़ियों को देख यात्रा प्रकृति की वादियों और विविधताओं के देखते हुए कब 10-20 किलोमीटर और आगे बाद जाते है, पता नहीं चलता। खैरना के बाद कुछ देर मोड़ कम हो जाते है, और मैदानी सड़क में चलने सा एहसास होता है। छड़ा, चमड़ियाँ, काकड़ीघाट, सुयालबाडी होते हुए पहुँचे, क्वारब, यहाँ से भी मुक्तेश्वर, रामगढ़ के लिए अलग सड़क जाती है। 

क्वारब के बाद पुल पार कर ये स्थान है एक शांत स्थान में हनुमान जी को समर्पित मंदिर स्थित है।

अलमोड़ा के दूरी यहाँ से लगभग 10 किलोमीटर है। यहाँ से बायीं और को हाल में सड़क बनी है, जिससे शीतलाखेत या फिर अलमोड़ा जाये बिना कोसी पहुँच सकते हैं। यहाँ से दिखती पहाड़ियों और उनकी विभिन्न लेयर्स को सफ़र में प्रकृति का रूप लगातार बदलती रहती है, और यह विविधता उन यात्रियों को ख़ुशनुमा एहसास देती है, जो पहाड़ी सफ़र के बाद ऊँघने ना लगे हो। 

क्वारब से अल्मोडा की ओर कुछ आगे बढ़ने पर, चढ़ाई में बसा एक छोटी बाज़ार मिलती है, जो लोधिया है, यहाँ पर कुछ रेस्टोरेंट और मिठाइयों की दुकानें मौजूद हैं। जो लोग अल्मोडा नगर क्षेत्र से मिठाइयाँ नहीं ख़रीद पाते वो यहाँ से ले लेते है। लोधिया के बाद पहुँचे करबला तिराहा, यहाँ से लेफ्ट नीचे को जाती सड़क अलमोड़ा की लोअर मॉल रोड नाम से जानी जाती है, और उप्पर को जाती सड़क  वो है अपर मॉल रोड।

देखिए इस यात्रा का वीडियो

https://youtu.be/x4r-jSQf4LM

 

जैसे जैसे सफ़र ऊँचाई की और बढ़ रहा है, सफ़र की रोचकता भी बढ़ती जा रही है।  इस सीरीज के अगले भाग में PopcornTrip के अल्मोडा से आगे की यात्रा में फिर मिलेंगे, आज के लिए यही तक, जल्दी पुनः मिलते है। धन्यवाद।

Enchanting Mussoorie: Majestic Peaks, Cascading Falls, Tranquil Forests

Mussoorie is a famous hill station in India known as the Queen of the Hills. It was discovered by a British man named Captain Frederick Young in 1827. He found a ridge with beautiful views and pleasant weather, which led to the development of this amazing hill station.

Mussoorie is a wonderful place for people who want to relax and enjoy their holidays, especially honeymooners. It is located on a horseshoe-shaped ridge that stretches for 15 kilometers. The majestic Himalayas serve as a backdrop, and the town is situated at an elevation of 2,000 meters above sea level. From here, visitors can see the scenic Himalayan peaks in Western Garhwal.

Over the years, Mussoorie has become a home to many famous people, including authors Ruskin Bond and Bill Aitken. Filmstar Victor Banerjee lives in Mussoorie, and the late filmstar Tom Alter was born and raised there. In the past, filmstar Prem Nath had a house in Mussoorie, and Dev Anand’s son studied at Woodstock school. Cricketers Sachin Tendulkar and Mahendra Singh Dhoni also visit this hill resort frequently.

The best time to visit Mussoorie is during the summer season when it offers relief from the hot weather. However, if you prefer a quiet and secluded holiday, visiting during the winter season allows you to experience the beauty of snowfall.

To reach Mussoorie, you can use different modes of transportation:

By Air: The nearest airport is Jolly Grant Airport in Dehradun, which is about 54 kilometers away. From the airport, you can take a taxi or shared cab to reach Mussoorie. The journey takes about 1.5 to 2 hours, depending on traffic.

By Train: The nearest railway station is Dehradun Railway Station, which is well-connected to major cities in India. From the railway station, you can hire a taxi or take a bus to Mussoorie. The distance is approximately 34 kilometers, and the travel time is around 1 to 1.5 hours, depending on traffic and road conditions.

By Bus: Mussoorie is well-connected by road, and there are regular bus services from nearby cities and towns. Government and private buses operate on this route. You can take a bus from cities like Dehradun, Delhi, Haridwar, Rishikesh, and other neighboring towns. The journey time and fare may vary depending on the distance and type of bus.

It’s important to check the availability of flights, train schedules, and bus timings in advance, especially during peak tourist seasons. Also, consider the weather and road conditions when planning your travel to Mussoorie.

Here are some additional attractions in Mussoorie:

  • Gun Hill: It’s one of the tallest peaks in Mussoorie. You can take a cable car ride to the top and see amazing views of the Himalayas and the town below.
  • Kempty Falls: This waterfall is about 15 kilometers away from Mussoorie. It’s a beautiful waterfall surrounded by green trees. You can swim in the cool water or just enjoy the natural beauty.
  • Lal Tibba: Lal Tibba is the highest point in Mussoorie. You can see stunning views of the Himalayas from here, and on a clear day, you might even spot famous landmarks like Badrinath and Kedarnath. There’s a telescope available for a closer look.
  • Mall Road: It’s a lively street in Mussoorie with shops, cafes, and restaurants. You can take a leisurely walk, do some shopping, try local food, and enjoy the lively atmosphere.
  • Cloud’s End: Located at the western end of Mussoorie, Cloud’s End is a beautiful place surrounded by forests. It’s a peaceful spot perfect for nature walks and picnics.
  • Camel’s Back Road: This road got its name because a natural rock formation resembles a camel’s hump. It’s a peaceful walking trail with stunning views of the mountains and valleys.
  • Mussoorie Lake: The lake is about 6 kilometers away from the town. It’s a man-made lake surrounded by green hills. You can go boating, paddle boating, or take nature walks in the serene surroundings.
  • Jharipani Falls: This is a lovely waterfall hidden in dense forests. It’s a popular place for nature lovers and adventure enthusiasts. You can enjoy the cascading water and the peaceful atmosphere on a day trip.
  • Benog Wildlife Sanctuary: This sanctuary is located on the outskirts of Mussoorie. It’s a home to various plants and animals. You can go birdwatching, take nature walks, and enjoy the calmness of the forest.
  • Nag Tibba Trek: If you love adventure, the Nag Tibba Trek is an exciting experience. It’s a moderate trek that takes you to the Nag Tibba peak, where you can see breathtaking views of the snow-covered Himalayas.
  • Company Garden: This well-maintained garden is a popular spot for picnics and leisurely walks. It features colorful flowerbeds, a fountain, and a small amusement park for children.
  • Jwala Devi Temple: Located atop Benog Hill, this ancient temple is dedicated to Goddess Durga. It offers a peaceful and serene atmosphere, and visitors can enjoy panoramic views of the valley below.
  • Mussoorie Heritage Centre: This center showcases the rich history, culture, and heritage of Mussoorie through interactive displays, photographs, and artifacts. It provides insights into the town’s colonial past and local traditions.
  • Everest House: Formerly known as Park House, this historic building is famous for being the home of Sir George Everest, after whom Mount Everest is named. It offers a glimpse into the life and achievements of the renowned surveyor.
  • Bhatta Falls: Situated about 7 kilometers from Mussoorie, Bhatta Falls is a picturesque waterfall surrounded by lush greenery. It is an ideal spot for a refreshing dip and relaxation amidst nature.
  • Mussoorie Adventure Park: For adventure enthusiasts, this park offers a range of thrilling activities such as zip-lining, skywalks, rappelling, and rock climbing. It provides an adrenaline-pumping experience amidst the scenic beauty of Mussoorie.
  • Tibetan Buddhist Temple: Also known as Shedup Choepelling Temple, it is a peaceful place of worship for the Tibetan community in Mussoorie. Visitors can explore the beautiful architecture, prayer wheels, and the tranquil ambiance of the temple.
  • Happy Valley: This valley is home to the Tibetan community in Mussoorie and houses several Tibetan Buddhist monasteries, including the Shedup Choepelling Temple. It offers a serene environment for meditation and reflection.
  • Landour Bazaar: Located in the nearby town of Landour, this quaint market is known for its old-world charm. It is famous for its homemade jams, fresh bakery products, and local handicrafts. Strolling through the narrow lanes of Landour Bazaar is a delightful experience.

These are just a few of the many attractions Mussoorie has to offer. Whether you’re looking for natural beauty, adventure, or a relaxing vacation, Mussoorie has something for everyone.

Watch Videos:

 देश के सर्वाधिक प्रसिद्ध हिल स्टेशन में से एक मसूरी यात्रा का विवरण

पिछले लेख में देहरादून नगर के विवरण के बाद इस लेख में है देहरादून से मसूरी यात्रा का विवरण जैसे कैसा है मसूरी, कैसे पहुँचे मसूरी और क्यों इतना पोपुलर डेस्टिनेशन है – मसूरी! (इन सवालो के जवाब को जानने PopcornTrip के इस video को देखें)

देहरादून से मसूरी के दूरी लगभग 35 किलोमीटर है। हम राजपुर रोड से जाखन, देहरादून जू, श्री प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर से होते हुए मसूरी के लिए आगे बढ़े। देहरादून के नगर क्षेत्र से मसूरी मार्ग में कुछ दूर चलते ही घुमावदार सड़क देख कर पहाड़ों से मिलने का अहसास होता है और तापमान में गिरावट का एहसास होता है।
देहरादून, समुद्र तल से लगभग 640 मीटर (2100 फीट) की ऊँचाई पर, और मसूरी, की ऊँचाई समुद्र तल से 2005 मीटर (6578 फीट) पर स्थित है। मसूरी का ठंडा मौसम, दूर तक घाटियों का दृश्य और स्वास्थ्यप्रद जलवायु, मसूरी को विशेष बनाती है।

अपने वाहन के अतिरिक्त देहरादून से मसूरी के लिए बसेज और टैक्सीज़ भी उपलब्ध हो जाती हैं। टैक्सी व उत्तराखण्ड परिवहन निगम की बस, देहरादून के रेलवे स्टेशन से समीप ही स्थित मसूरी बस अड्डे से नियमित अंतराल पर मिल जाती हैं।

Dehradun Railway

देहरादून के नगर क्षेत्र से बाहर निकलते ही घुमावदार सड़क देख कर पहाड़ों से मिलने का अहसास होता है। देहरादून पर बना वीडियो आप popcorntrip चैनल में देख सकते हैं

देहारादून चिड़ियाघर के बाद, सड़क घुमावदार होने के साथ हल्की चढ़ाई भी लिए हुए है। सड़क के किनारे दिखते खड़े – वाहन यह संकेत देते हैं – कि मसूरी जैसी खूबसूरत जगह, उत्तराखंड मे पर्यटकों द्वारा कितनी पसंद की जाती है। इस सफ़र में लगने वाला समय इस बात पर निर्भर करता है कि किस सीजन में मसूरी ट्रैवल कर रहें हैं, कोई ऑफ सीजन है तो लगभग डेढ़ घंटा और गर्मियों का सीजन और साथ मे सप्ताहंत भी, तो फिर समय होता है अपने धैर्य की परीक्षा देने का।

देहरादून से मसूरी जाते हुए सड़क के दाई ओर ओर पहाड़ी और बायीं ओर ढलान लिए हुए पहाड़ी नजर आती है। साफ़ मौसम हो तो मार्ग से दिखने वाले खूबसूरत दृश्य, जिसमें घाटियों के उतार के साथ दूर तक देहरादून शहर दिखाई देता है।

Dehradun to Mussoorie Journey

Dehradun to Mussoorie Journey Popcorn Trip

मार्ग में Mussoorie Municipality का Toll पॉइंट, यहाँ मसूरी नगर में वाहनों के प्रवेश के लिए शुल्क जमा होता है। इस सड़क में बरसातों के मौसम में अधिकतर पहाड़ी क्षेत्रों की सड़कों की तरह चट्टान से पत्थर या मलवा खिसकने का अंदेशा रहता है और इस बारे मे सावधानी बरतने के निर्देश देते बोर्ड जगह जगह दिखते हैं। इसी मार्ग में एक स्थान से बायीं ओर यहाँ का एक प्रसिद्ध पिकनिक स्पॉट भट्टा फॉल के लिए मार्ग है। यहाँ से भट्टा फॉल तक रोपवे द्वारा भी पहुँच सकते हैं। इस मार्ग में जगह जगह रेस्टोरेंट, कई गेस्ट हाउस और होटल भी दिखते हैं। मसूरी झील भी इसी मार्ग में स्थित है, जो मसूरी से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर है।

मसूरी नगर से कुछ पहले मल्टीलेवल पार्किंग के समीप से, मसूरी शहर मे एंट्री के लिए दो मार्ग जाते हैं, सीधा आगे जाता मार्ग पिक्चर पैलेस चौक की ओर जो यहाँ से लगभग 1 किलोमीटर और बाई ओर की सड़क जिससे तीन किलोमीटर की दूरी पर है – लाइब्रेरी चौक। Library चौक जाते हुए राइट हैंड साइड को मॉल रोड सीढ़ियों से भी पंहुचा जा सकता है। लाइब्रेरी चौक के सामने, मॉल रोड का ऊप्परी सिरा मिलता है, और दूसरा सिरा पिक्चर पैलेस चौक के समीप मिलता है।
मसूरी मॉल रोड में सुबह 9 बजे से रात्रि 10 बजे तक बड़े वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित है।मसूरी में वाहनों हेतु पार्किंग अलग अलग स्थानों में बनी हुई है।

देखें इस खूबसूरत मार्ग से यात्रा का रोचक वीडियो 

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Dehradun to Mussoorie Road Journey Guide

The road journey from Dehradun to Mussoorie is approximately 35 kilometers and takes about 1-2 hours depending on traffic, tourist season and road conditions. The route is well-connected by a good network of roads, and the journey is scenic, passing through beautiful mountains, valleys and forests. The most common route to take is via NH734 and the winding road, with a number of hairpin bends and steep inclines, offers picturesque views of the Doon valley and the surrounding hills.

Clock Tower

Clock Tower Dehradun

There are several modes of transportation available to make the journey, including:

  1. Bus: There are frequent bus services that run between Dehradun and Mussoorie, operated by the state-run Uttarakhand Transport Corporation (UTC). Anyone can get bus from Mussoorie Bus Stand near Dehradun Railway station.
  2. Taxi: You can also hire a taxi or a cab to take you from Dehradun to Mussoorie.
  3. Private car or two wheeler: You can also drive your own car, but be prepared for winding roads and steep inclines.
A Rainy Day in Dehradun

A Rainy Day in Dehradun

It is recommended to check the road condition in advance as the route is prone to landslides during monsoon season, and it’s better to plan your journey accordingly.

Parking in Mussoorie

Mussoorie has several parking options available, including on-street parking, municipal parking lots, and private parking lots. Some popular parking locations in Mussoorie include the Gandhi Chowk parking area, the Library Chowk parking area, and the Municipal Garden parking area. It’s also possible to find parking on the side streets near popular tourist attractions. It’s important to be aware of any parking restrictions or fees that may apply in certain areas. It is advised to check for parking information with local authorities before embarking on the trip.

Explore Dehradun city
https://www.popcorntrip.com/dehradun/

Watch Dehradun

खटीमा : भारत और नेपाल की सीमा के निकट बसा उत्तराखंड का नगर

उत्तराखण्ड स्थित खटीमा, कुमाऊँ मण्डल के उधमसिंहनगर जनपद में स्थित एक नगर है। समुद्र तल से 653 फीट (199 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित, यह स्थान भारत-नेपाल सीमा के निकट है। खटीमा नगर, राज्य के अन्य भागों से भली भांति, सड़क और रेलमार्गों से जुड़ा है। यह दिल्ली से 8 घण्टे, नैनीताल से 4 घंटा एवं हल्द्वानी से 3 घंटे की दूरी पर स्थित है।

खटीमा उत्तराखंड निर्माण की मांग करते हुए 1994 में शहीद हुए आंदोलनकारियों की भूमि के रूप मे भी जाना जाता है। यहाँ की बाज़ार मे सीमावर्ती राज्य नेपाल के भी लोग खरीददारी करने आते है।

खटीमा क्षेत्र में पर्यटको को आकर्षित और पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने उत्तराखंड के पहले मगरमच्छों के पार्क का लोकार्पण किया। यहाँ 150 से अधिक क्रोकोडाइल हैं। 01 दिसम्बर 2021 से यहाँ crocodile पार्क आरंभ हुआ। यहाँ आगुन्तुक जान सकेंगे कि मगरमच्छ कैसे रहते हैं, कैसे तैरते हैं, कैसे खाते हैं, कैसे सोते हैं, कैसे अपने भोजन के लिए शिकार करते हैं।

खटीमा कैसे पहुंचे!
खटीमा से निकटतम हवाईअड्डा पंतनगर है। खटीमा के आसपास, पर्यटकों के भ्रमण के लिए अनेक स्थानों में से कुछ – नानकमत्ता साहिब, पूर्णागिरि मंदिर और अंतर्राष्ट्रीय नेपाल सीमा से सटा हुआ बनबसा और नेपाल स्थित महेन्द्रनगर हैं (इन स्थानों की जानकारी देते वीडियो आप Popcorn Trip Youtube चैनल में देख सकते हैं)। खटीमा से उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहरादून व अन्य प्रमुख नगर जैसे हरिद्वार, दिल्ली आदि के लिए टूरिस्ट बसों का भी संचालन भी होता। देखिए खटीमा की जानकारी देता विडीयो

Haldwani to Tanakpur Journey

हल्द्वानी, नैनीताल जिले का एक प्रमुख नगर होने के साथ साथ कुमाऊँ के प्रवेश द्वारा के रूप में भी जाना जाता है। और टनकपुर नगर चंपावत जिले का नेपाल सीमा में बसा एक प्राचीन भारतीय नगर है। इस यात्रा संस्मरण और विडियो में इन्हीं दो स्थानों के बीच सड़क यात्रा का विवरण।
Poppcorn Trip के इस सफ़र के लिए उत्तराखंड में कुमाऊ में हल्द्वानी से सितारगंज/ खटीमा सहित विभिन्न पड़ावों से होकर चम्पावत, लोहाघाट, पिथोरागढ़ जनपद के भ्रमण का कार्यक्रम बनाकर, हमने अपनी यात्रा आरम्भ की।

हल्द्वानी से सितारगंज के लिए Roadways स्टेशन से आगे होते हुए गौला नदी के पुल को पार कर हल्द्वानी गौलापार क्षेत्र में पहूचे, यहाँ से हल्द्वानी का व्यस्त क्षेत्र पीछे छूटता जाता है, इसी मार्ग मे हमें दिखा – अंतरराष्ट्रीय स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स, हल्द्वानी का स्टेडियम।

कुछ और आगे जाने पर हम पँहुचे नवाड़ खेड़ा तिराहे पर जहां से एक रोड हल्द्वानी, जहां से हम आए थे – दूसरी काठगोदाम और और तीसरी रोड से सितारगंज की ओर जा सकते है।

यहाँ से आगे दिखती है खुली सड़के, प्राकर्तिक वातावरण, हरियाली, कहीं किनारे के खेतों मे हरी – भरी लहलहाती फसलें और काम करते कृषक। मुख्य सड़क में लगे बोर्ड – बीच – बीच में आवश्यक जानकारी देकर अपनी भूमिका निभाते।

रोड के किनारे दिखते – कुछ फार्म और दूर – दूर बने घर, किसी पेंटर को उसके अगले मास्टरपीस के लिए प्रेरणा देते।

आगे बढ़ते हुए, मार्ग से दिखने वाले वाले छोटे -छोटे गाँव, कहीं सड़क के किनारे मंदिर, कहीं फलों या फूलों के विविध रंग, कहीं आपस मे संवाद करते पशु और ग्रामीण जीवन। सड़क पर सरपट दौड़ते वाहन दोनों और वनों से घिरी सड़क।

आगे चलते हुए हम पँहुचे चोरगलिया, जिसे नन्धौर वन्य अभयारण्य नाम से भी जाना जाता है। जहां वन विभाग से अनुमति लेकर wildlife सफारी की जा सकती है।

कुछ स्थानीय जानकार कहते है कि – चोरगलिया का सही नाम चार गलियाँ था, जो बिगड़ कर चोरगलिया हो गया। जबकि कुछ लोगों का मानना है कि कभी इस सुरम्य घने जंगलों वाले मार्ग में चोर डाकुओं की बहुतायत थी, इसलिए इस क्षेत्र का नाम चोरगलिया पड़ा।

यहाँ से आगे सितारगंज रोड मे आगे बड़े, जो यहाँ से 23 किलोमीटर दूर है। सितारगंज रोड में ही सिडकुल का इंडस्ट्रियल एरिया मिलता है।

https://youtu.be/T-8K2WhjSzQ

संगीत प्रेमियों को झंकार देने वाले वाद्य यंत्र सितार से शुरू होने वाले उधम सिंह जनपद का प्रमुख स्थान सितारगंज समुद्र तल से 298 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

सितारगंज की मुख्य बाज़ार में जाना हो तो मुख्य चौराहे से दाई और जाकर बाज़ार में पंहुचा जा सकता है – यहाँ सभी तरह की दुकाने, शो रूम मिल जाते है. बाज़ार का केंद्र है पीपल चौराहा – बाज़ार का सबसे पुराना इलाका – इसी के इर्द गिर्द बाज़ार का विस्तार हुआ। बाज़ार की रोड से मुख्य हाई वे की और वापस आते कई सरकारी कार्यालय. स्कूल दिखाई देते है। कुछ देर बाज़ार में घुमकर वापस हम मुख्य हाई वे में पंहुचे अपने अपने सफ़र को जारी रखने के लिए।
सितारगंज से खटीमा रोड में हमें एक तिराहा दिखा, जहां से बायीं ओर को जाता मार्ग नानकमतता को और दाहिनी ओर को जाता मार्ग खटीमा के लिए है। गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब की दूरी 1.5 किलोमीटर है। नानकमत्ता स्थित गुरुद्वारा पर हम पूर्व में विडियो बना चुकें हैं, जो आप youtube में “Nanakmatta PopcornTrip” लिख के देख सकते हैं।

https://youtu.be/yNqftnqQjFA


नानकमत्ता से आगे मिलती है – प्रतापपुर चौकी, और यहाँ से कुछ आगे ही स्थित है झनकट।

अपनी यात्रा मे आगे बढ्ने के लिए दायी ओर मुख्य हाईवे पर बने रहे। सितारगंज से 11 किलोमीटर के बाद, एक सुंदर स्थान मिलता है – झनकट। इस स्थान की एक विशेषता यह है कि – जहां समान्यतः किसी भी शहर में लोग हाई वे से बाइपास होकर अगले स्थान के लिए निकल जाते है – वहीँ झनकट की मुख्य बाज़ार हाइवे के दोनों और बसी है – मुख्य हाइवे और जो all weather रोड के रूप में भी विकसित हो रही के किनारे बाज़ार होने कारण लोगों को बाजार में चौड़ी सड़कें और पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ मिल जाते हैं। इसलिए इस छोटे से बाज़ार से गुजरने का अनुभव अनूठा है।

झनकट में हाइवे के किनारे – यहाँ के फास्ट फूड के कुछ स्टॉल। और सड़क के दोनों और स्थित लगभग सभी तरह की दुकाने है, जहां से स्थानीय लोग ख़रीददारी करते हैं.

यहाँ खेती के लिए उपजाऊ जमीन का महत्व इस बात से लगा सकते है कि – इस छोटे से स्थान में 8 राइस मिल है।

झनकट के बाद खटीमा/ टनकपुर मार्ग में मिला इस रूट मे पहला टोल गेट, जहां से FastTAg द्वारा टोल शुल्क दे कर हम आगे बड़े। इस मार्ग मे सड़क मे अच्छी गति से वाहन चलाया जा सकता है। झनकट से 20 किलोमीटर की दूरी पर है – खटीमा। खटीमा, उधम सिंह नगर का एक प्रमुख नगर।

खटीमा उत्तराखंड निर्माण की मांग करते हुए 1994 में शहीद हुए आंदोलनकारियों की भूमि के रूप मे भी जाना जाता है। यहाँ की बाज़ार मे सीमावर्ती राज्य नेपाल के भी लोग खरीददारी करने आते है।

खटीमा क्षेत्र में पर्यटको को आकर्षित और पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने उत्तराखंड के पहले मगरमच्छों के पार्क का लोकार्पण किया। यहाँ 150 से अधिक क्रोकोडाइल हैं। एक दिसम्बर 2021 से यहाँ crocodile पार्क आरंभ हुआ। यहाँ आगुन्तुक जान सकेंगे कि मगरमच्छ कैसे रहते हैं, कैसे तैरते हैं, कैसे खाते हैं, कैसे सोते हैं, कैसे अपने भोजन के लिए शिकार करते हैं।

खटीमा की सीमा से बाहर आते हुए हुए वनखंडी महादेव मंदिर परिसर में स्थित है – 116 फीट ऊंची भगवान शिव की मूर्ति, संभवतः यह उत्तराखंड की सबसे ऊंची मूर्ति है।
खटीमा से 15 किलोमीटर की दूरी पर है बनबसा। बनबसा अपनी प्राकर्तिक सुन्दरता लिए जाना जाता है। प्रसिद्ध शारदा नहर का उद्गम भी बनबसा से ही हुआ है। बनबसा का मुख्य आकर्षण केन्द्र अंग्रेजों के समय बना बनबसा पुल व बनबसा पुल पर स्थित पार्क है।
बनबसा से हम चंपावत जनपद में है। यहाँ से नेपाल के लिए भी सड़क मार्ग से जा सकते है। कुछ समय पहले हम बनबसा से ही महेन्द्रनगर जिसे अब भीमदत्त कहते है से नेपाल गए थे।

अपने वाहन द्वारा नेपाल में प्रवेश की जानकारियों सहित नेपाल में महेंद्र नगर से काठमांडू और पोखरा की ट्रेवल गाइड पूर्व में पॉपकॉर्न ट्रिप में बना चुके हैं, जिसे आप PopcornTrip youtube channel में देख सकते हैं।
बनबसा से आगे बढ़ते हुए आता है टनकपुर। बनबसा से टनकपुर की दुरी 10 किलोमीटर है. टनकपुर, चंपावत और पिथौरागढ़ का प्रवेशद्वार है। शारदा नदी के किनारे बसा टनकपुर – धार्मिक, सांस्कृतिक, व्यापारिक महत्व के साथ सौन्दर्य प्राकृतिक के लिए उत्तराखंड के महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह चंपावत जनपद अंतिम रेलवे स्टेशन है। पहाड़ी स्थानों को लौटते लोगों और पर्यटक के लिए यहाँ कई होटेल्स और गेस्ट हाउस है।
नेपाल के साथ देश के विभिन्न स्थानों के लिए टनकपुर से रोडवेज़ की बस सेवाएँ है। यहाँ की बाज़ार मे सभी तरह की दुकाने है। जिनमे स्थानीय लोगो की जरूरत का समान मिल जाता है।

टनकपुर बस स्टेशन से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर से एक सड़क पूर्णागिरी मंदिर की ओर जाती है। पूर्णागिरी मंदिर यात्रा पर भी पूर्व मे पॉप्कॉर्न ट्रिप चैनल मे video बना चुके है, जिसे youtube में पॉपकॉर्न ट्रिप पूर्णागिरी टाइप कर सर्च किया जा सकता है।

https://youtu.be/_7WCEaN60RM

इसी तिराहे के पास टनकपुर मे नन्धौर वन्य अभयारण्य का ककराली गेट है। इसका एक गेट हमने इसी video मे चोरगलिया मे देखा था।
मैदानी सड़क में सफ़र यहीं तक इसके आगे की यात्रा पहाड़ी घुमावदार मोड़ों से हुए होते आगे बढेगी, यात्रा के अगले भाग में यहाँ से चम्पावत की यात्रा रास्ते के खुबसूरत लैंडस्केप के साथ देखेंगे – श्यामलाताल को, जहाँ एक खुबसूरत ताल है, और जहाँ कभी स्वामी विवेकानंद भी आये थे।

आशा है आपको ये लेख पसंद आया होगा। विडियो देखें PopcornTrip चैनल में।

हल्द्वानी से अल्मोड़ा, Road Journey

कुमाऊँ के प्रवेश द्वार के नाम से जाना जाने वाला स्थान -हल्द्वानी से खूबसूरत अल्मोड़ा की सड़क यात्रा।  इस विडियो में आप देखेंगे हल्द्वानी से कैसे हमने अपना सफर की शुरुआत की, हल्द्वानी के बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन से होते हुए, काठगोदाम, रानीबाग, भीमताल, भवाली, कैंची आश्रम, गरमपानी, खैरना, सुयालबाड़ी, क्वारब, लोधिया होते हुए अल्मोड़ा पहुचे।