यह अल्मोड़ा है  – उन सब का जो यहाँ के है, और  उन सबका भी जो यहाँ कभी रहे हैं।

अल्मोड़ा उत्तराखंड के विख्यात और ऐतिहासिक स्थानों में से एक हैं। कई लोग अल्मोड़ा का परिचय उत्तराखंड की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में भी देते हैं।

कई बातें जो दुनिया मे कहीं और देखने – जानने को नहीं मिलेंगी। उनही बातों को तलाशने के साथ, करेंगे अल्मोड़ा को एक्सप्लोर।

दो दशक पहले –  जब मैंने अल्मोड़ा को जानना शुरू किया –  तब लोग अल्मोड़ा में लाला बाजार या उससे लगी  नन्दा देवी बाज़ार से पलटन बाज़ार तक तक तो लगभग  रोज ही घूम आते। अब भी शायद जाते हों।  यह दोनों स्थान अल्मोड़ा की मशहूर पटाल बाज़ार के दो कोनो पर स्थित हैं, जिसके बीच में चौक बाज़ार, कारखाना बाज़ार, खजांची मोहल्ला, ज़ोहरी बाज़ार,  गंगोला मोहल्ला, थाना बाज़ार आदि नाम से जानी जाने वाली कुछ – 2 दुरी पर स्थित बाज़ार हैं, जिनके साथ लोगों के रिहायशी मकान भी. और मकानों तक पहुँचने के लिए गलिया ।

यह हैं अल्मोड़ा का मशहूर मिलन चौक, नाम के अनुरूप – यहाँ रोड के किनारे खड़े हो, मित्रो, परिचितों के मध्य अक्सर अनौपचारिक मीटिंग्स हुआ करती।

कुछ वर्ष पूर्व तक, चार – छह किलोमीटर चलना, बेहद छोटी दूरी मानी जाती थी, पटाल बाज़ार या मॉल रोड मे घूमते हुए लोग रोज इतनी दूरियाँ यो ही तय कर लेते। कभी पैदल चल कर डयोली डाना, कसारदेवी, चितई अक्सर घूम आया करते। अल्मोड़ा में रहने वाले प्रकृति से प्रेम में पड़ ही जाते हैं।

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