एक समय था सैर सपाटा अमीरों के लिए ही था।
एक समय था सैर सपाटा अमीरों के ही शौक थे, और यह विलासिता मे आता था। बाकींलोग तो साल – दो साल मे अपने रिश्तेदारी में चले जाए तो वहीं घूमना माना जाता था। फिर महीनों तक उस घूमने के मित्रों – मोहल्ले मे चर्चे होते।
अभी बहुत समय नहीं बीता इस बात को। फिर लोगों की औसत आय बढ़ने के साथ – दूर दराज के स्थानों और दुनिया के प्रति जानकारी और वहाँ पहुँचने का आकर्षण भी बढ़ने लगा।
यात्राओं मे स्टिल केमेरे की भी भूमिका बड़ी, कहीं जाओं तो तस्वीरें भी खीच लो, कोडेक, फूजी जैसे कमेरे मे रील डालो और अपनी यात्राओं को छवियों के साथ अमर कर लो। तब लोग फुरसत से निकलते और एक या दो डेस्टिनेशन को देख कुछ दिन किसी होटल मे रूम लेकर रहते है लौट आते।
फिर डिजिटल केमेरे आए – लोग खुश थे – अब अच्छी क्वालिटी (तथाकथित) मिलने के साथ रील पर होने वाले पैसे बचेंगे, हालांकि – डिजिटल केमेरे कई गुना महेंगे थे। खैर आरंभिक/ एकमुश्त होने वाले खर्चे से अधिक मानव मनोविज्ञान को आपरैशनल/ रनिंग कोस्ट अखरती है। फिर वो कोई वाहन हो या डिवाइस। फिर मोबाईल मे भी केमेरे आने लगे।
फिर इंटरनेट के आने के बाद अन्य कई सेक्टर की तरह घूमने फिरने मे भी क्रांति हुई, तब मोबाईल सिर्फ बात करने, संदेश भेजने, टाइम देखने आदि का माध्यम ही नहीं रहा, बल्कि इंटरनेट उपयोग का भी एक अच्छा टूल बन गया।
साधारण मोबाईल के स्मार्टफोन बनने के बाद – जहां एक ओर सोशल मीडिया ने प्रवेश किया दूसरी ओर होटल/ पैकेज बुकिंग की तमाम साइट्स आने लगी – जिहोने सस्ते होटेल्स लिस्ट करने शुरू कर दिए, टैक्सी बुकिंग एप आने लगी और सोशल मीडिया पर लोगों ने अपने यात्रा की तस्वीरें अपलोड करनी शुरू कर दिए। जो दूसरे लोगों को भी घूमने के लिए प्रेरित करने करने लगी।
फिर अब आया video का दौर – तमाम साइट्स मे रील बनाना, ज्यादा से ज्यादा स्थानों को कवर करके -Vlog बनाना, अपलोड करना।
घूमने के तरीके और उद्देश्य मे भी परिवर्तन हो गया है – जो कुछ समय पहले फुरसत के समय का आनंद लेना होता था। अब घूमने के समय ज्यादातर लोगों को अपने लिए भी फुरसत नहीं होती, घूमा इसलिए जा रहा है कि – हमने कितनी ज्यादा से ज्यादा जगह कितने कम से कम समय मे देख ली, डेस्टिनेशन में बिताने से ज्यादा समय सड़कों से गुजरने में बीत रहा है।
हाँ अभी भी कई लोग है – जिन्हे घूमते हुए न अपनी सेल्फ़ी लेने की परवाह होती, न सोशल मीडिया पर अपनी यात्राओं की तस्वीर डालने की ख्वाहिश होती, किसी डेस्टिनेशन मे जाकर वहां की फिज़ाओं को महसूस करते हैं, जहां होते है बस वहीं रहते है – और बाकि सब भूल जाते हैं। #popcorntrip
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!