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मुक्तेश्वर एक छोटा सा साफ़ सुथरा और शांत पहाड़ी गाँव है, जहाँ आपको असीम शांति, वन क्षेत्र, किसी भी अन्य हिमालयी छेत्र की तरह ही सीधे व सरल ग्रामीण, और शुद्ध हवा और असीम मानसिक शांति मिलती है, यहाँ से दिखने वाले हिमालय श्रंखला के बेजोड़ दृश्य, अपने शांत माहौल और शीत मौसम व स्वच्छ वातावरण, बाज और देवदार के घने जंगल और यहाँ चौली की जाली नामक स्थान से दिखने वाले असीम व अद्भुत घाटी के दृश्य और मुक्तेश्वर महादेव मंदिर से श्रद्धालुओं को मिलती असीम उर्जा के लिए ट्रैकिंग, रीडिंग, व्रित्तिंग, बर्ड वाचिंग, आदि, यहाँ पर्यटकों द्वारा की जाने वाली कुछ एक्टिविटीज है.

मुक्तेश्वर पहुचने के मार्ग में दिखने वाले दृश्य भी काफी खुबसूरत और लुभावने हैं. सफ़र करते हुए दिखने वाले आकर्षक दृश्यों की सुन्दरता आपका दिल जीत लेती है. मुक्तेश्वर नाम दो संस्कृत शब्द से निकला है “मुक्ति और ईश्वर” । यानी यहाँ आप सांसारिक आपाधापी से दूर मुक्त हो स्वयं को इश्वर के करीब पाते हैं.

मुक्तेश्वर देवदार, बांज, काफल, मेहल आदि के सुंदर और घने आरक्षित वनों से घिरा है। यहाँ IVRI इंडियन वेतेर्निटी रिसर्च इंस्टिट्यूट भी है, जहाँ जानवरों पैर रिसर्च (खोज) की जाती है ये इंस्टिट्यूट 1893 में अंग्रेजों द्वारा यहाँ बनवाया गया था यहाँ एक म्यूजियम और लाइब्रेरी भी है जहाँ जानवरों पर रिसर्च से पुराने डॉक्यूमेंट और किताबें संभाली गयी हैं

मुक्तेश्वर धाम एक प्राचीन शिवमंदिर है, जिसके नाम पर ही इस इलाके को मुक्तेश्वर कहा जाता है। यहाँ से हिमालय और हरियाली भरी घाटियों का दृश्य बहुत खूबसूरत दिखाई पड़ता है।

मुक्तेश्वर बाजार से जो हालाकिं ज्यादा बड़ी नहीं है, से महज २ किलोमीटर की दुरी पर मुक्तेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है, जो सडक से लगभग 400 – ५०० मीटर के दुरी जिसमें आपको कुछ सीडियां भी चढ़नी होती है, के बाद ये मंदिर स्थित है।

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