कर्णप्रयाग

दो प्रसिद्ध नदियों अलकनंदा और पिंडर संगम होता है यहाँ।

उत्तराखंड के दो प्रमुख धामो केदारनाथ और बद्रीनाथ जाने के लिए हो के जाना होता है यहीं से।

प्रदेश का मुख्य व्यापारिक केंद्र होने की साथ साथ यहाँ का सांस्कृतिक और पौराणिक महत्व भी है।

महाभारत के एक प्रमुख पात्र कर्ण के नाम पर इस स्थान का नाम कर्णप्रयाग पड़ा।

कर्णप्रयाग की संस्कृति उत्तराखंड की सबसे पौराणिक एवं अद्भुत नंद राज जाट यात्रा से जुड़ी है।

कर्णप्रयाग उत्तराखंड के गढ़वाल मण्डल के चमोली जिले का एक प्रमुख नगर है। यहाँ पर हर तरह के व्यापारिक प्रतिष्ठान जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, आटोमोबाइल, शोरूम, restuarnats आदि और शैक्षणिक सस्थान जैसे स्कूल, कॉलेज, banks आदि की साथ रात्री विश्राम के लिए होटेल्स, गेस्ट हाउस आदि उपलब्ध हैं।

पंचप्रयाग गढ़वाल, उत्तराखण्ड के पाँच पवित्र प्रयाग या नदियों के संगम स्थल को कहा जाता है। इसमें निम्नलिखित स्थल सम्मिलित हैं-
विष्णुप्रयाग
नंदप्रयाग
कर्णप्रयाग
रुद्रप्रयाग
देवप्रयाग

कर्णप्रयाग नगर से होकर चार अलग अलग मार्ग निकलते हैं। एक है चमोली, गोपेश्वर होते हुए बद्रीनाथ को, दूसरा गौचर, रुद्रप्रयाग होते हुए, ऋषिकेश/ केदारनाथ को,  तीसरा रानीखेत रोड जो आदिबद्री, गैरसैण होते हुए चौखुटिया रानीखेत को जाता है, और चौथा नौटी गाँव होते हुए उससे आगे धूमाकोट को जाती है जो सड़क अभी फिलहाल कच्ची है। 
शहर में कई बाजार, होटल, लॉज एवं भोजनालय हैं, जो बद्रीनाथ या केदारनाथ जाते हुए यात्रियों एवं तीर्थयात्रियों की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। कर्णप्रयाग, उत्तराखंड का एक प्रमुख ऐतिहासिक नगर है। उत्तराखंड के महत्त्वाकांक्षी और महत्वपूर्ण All Weather Road का एक प्रमुख पड़ाव भी है। जानिए कर्णप्रयाग के इतिहास, आकर्षण, कैसे यहाँ पहुचें आदि के साथ ढेरों जानकारियाँ देता विडियो देखें –

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