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Uttarkhand CharDham चारधाम यात्रा हेतु ट्रैवल एडवाइजरी Travel Advisory

चार धाम यात्रा शुरू होने वाली है, इसके लिए उत्तराखण्ड सरकार ने भी तैयारियाँ की है, और कुछ निर्देश दिये है, जिन्हें यात्रा शुरू करने से पूर्व जानना ज़रूरी है। इस लेख में बात करेंगे आपको अपनी यात्रा में क्या सावधानियाँ रखनी है।

पर्यटक पंजीकरण प्रक्रिया में कोई शुल्क शामिल नहीं है। चारधाम और हेमकुंड साहिब यात्रा के दौरान वैध व्यक्तिगत पहचान पत्र साथ रखें।

ऑनलाइन पंजीकरण के तरीके

1) वेब पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन https://registrationandtouristcare.uk.gov.in/

2) मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से – टूरिस्ट केयर उत्तराखंड Tourist Care Uttarakhand (Andorid & iOS)

3) व्हाट्सएप सुविधा के माध्यम से – मोबाइल नंबर: +91 8394833833
टाइप करें: व्हाट्सएप में पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करने के लिए “यात्रा”।

सत्यापन का तरीका

शारीरिक रूप से केवल मोबाइल ऐप में “क्यूआर कोड” को स्कैन करके या “यात्रा पंजीकरण पत्र” डाउनलोड करके तीर्थस्थल पर जाया जा सकता है।

चार धाम, दुनिया के सबसे पवित्र हिंदू तीर्थस्थलों में से एक है, जिसमें यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के चार पवित्र स्थल शामिल हैं। इस वर्ष, उत्तराखंड सरकार ने यात्रा को सभी के लिए सुचारू और सफल बनाने के लिए कई उपायों की रूपरेखा तैयार की है।

पंजीकरण

चारधाम यात्रा तीर्थस्थलों – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब की यात्रा से पहले श्रद्धालुओं को अपना पंजीकरण कराना जरूरी है। सुचारू यात्रा सुनिश्चित करने के लिए, उत्तराखंड सरकार ने दैनिक यात्रियों की संख्या की सीमा निर्धारित की है।इसलिए उत्तराखण्ड सरकार के संबंधित पोर्टल पर वैधता की जांच करें और पंजीकरण करें यहाँ पर क्लिक कर  यात्रा करने से पूर्व पंजीकरण पूरा करें।

स्वास्थ्य सलाह

उत्तराखंड में चार धाम यात्रा में पवित्र तीर्थ उच्च अक्षांश High Altitude पर स्थित हैं। इन सभी तीर्थस्थलों की यात्रा करने से तीर्थयात्रियों को अत्यधिक ठंड, कम आर्द्रता, बढ़ी हुई पराबैंगनी विकिरण और हवा और ऑक्सीजन के दबाव में कमी का सामना करना पड़ सकता है। उपरोक्त के आलोक में, आरामदायक और सुरक्षित यात्रा के लिए निम्नलिखित सलाह दी जाती है:

  • सभी तीर्थयात्रियों को पूरी तरह से स्वास्थ्य जांच कराने के बाद यात्रा के लिए आगे बढ़ना चाहिए।
  • पहले से मौजूद बीमारियों वाले लोगों को निर्धारित दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति के साथ अपने संबंधित चिकित्सकों के संपर्क विवरण को साथ रखना चाहिए।
  • वरिष्ठ नागरिक, गंभीर बीमारी वाले, और जो लोग अतीत में कोविड-19 से पीड़ित थे, उन्हें ठीक होने तक तीर्थयात्रा स्थगित करने पर विचार करना चाहिए।
  • यात्रा कार्यक्रम में अंतिम तीर्थ स्थल पर पहुंचने से पहले कम से कम एक दिन का विश्राम शामिल होना चाहिए।
    कृपया पर्याप्त मात्रा में ऊनी/गर्म कपड़े साथ रखें।
  • ऊंचाई की यात्रा करते समय हृदय रोग, श्वसन संबंधी बीमारियों, मधुमेह और उच्च रक्तचाप से पीड़ित रोगियों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए।
  • यदि आप सिरदर्द, चक्कर आना, उनींदापन, सीने में जकड़न, मतली, उल्टी, खांसी, तेज सांस लेना और हृदय गति में वृद्धि जैसे लक्षण देखते हैं, तो कृपया तुरंत चिकित्सा सहायता लें या सहायता के लिए 104 और 108 हेल्पलाइन पर संपर्क करें
  • शराब और अन्य नशीले पदार्थों के सेवन से बचें और धूम्रपान से परहेज करें।
  • धूप से त्वचा की सुरक्षा के लिए एसपीएफ़ 50 वाला सनस्क्रीन इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • आंखों को यूवी किरणों से बचाने के लिए सनग्लास का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • खुद को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखें और खाली पेट यात्रा करने से बचें।
  • ट्रेकिंग/वॉकिंग के दौरान बार-बार ब्रेक लें।
  • अधिक ऊंचाई पर अधिक व्यायाम से बचें।
  • आपात स्थिति के मामले में, हेल्पलाइन नंबर 108 – राष्ट्रीय एम्बुलेंस
  • स्वास्थ्य सेवा हेतु 104- उत्तराखंड स्वास्थ्य हेल्पलाइन पर संपर्क किया जा सकता है।

करने योग्य:

  • अपने वाहन का रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है।
  • चालक को वाहन में बैठे सभी यात्रियों की सूची रखनी चाहिए।
  • पहाड़ी रास्तों पर ऊपर जाने वाले वाहनों को पहले रास्ता दें।
  • वाहन चालक को वाहन के सभी वैध दस्तावेज रखने चाहिए, एक अतिरिक्त स्टेपनी रखनी चाहिए।
  • यात्रा करने से पहले आपको परिवहन कार्यालय से ग्रीन कार्ड प्राप्त करना होगा।
  • पहाड़ी रास्तों के मोड़ों पर हार्न जरूर बजाएं।
  • वाहन पार्क करते समय हैंड ब्रेक का प्रयोग अनिवार्य है। पार्किंग निर्धारित स्थान पर ही की जाए।
  • अपने साथ प्रूफ या स्कैन किया हुआ क्यूआर कोड रखें।

सावधानियाँ

  • पहाड़ की सड़कों पर सुबह 4 बजे से पहले और रात 10 बजे के बाद ड्राइव न करें।
  • सड़क के मोड़ पर ओवरटेक न करें।
  • नशे की हालत में वाहन न चलाएं।
  • वाहन के ऊपर बैठकर यात्रा न करें।
  • गंदे कपड़े और पॉलीबैग में कूड़ा न फेंके।
  • व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए निजी वाहनों का उपयोग न करें।

यह भी देखें

वीडियो देखें: 

Mana Village

आज आप जानेंगे बद्रीनाथ धाम से तक़रीबन 4 किलोमीटर की दुरी पर भारत तिब्बत सीमा पर स्थित माणा गांव के बारे में…
viewers इसी चैनल में हम इसे पहले बद्रीनाथ धाम aur mana gaon की विस्तृत जानकारी देता वीडियो आपके लिए ला चुकें हैं jiska link aapko screen kee uppari hisse aur neeche discription mei bhi mil jaayega,
नमस्कार viewers, popcornTrip में आपका स्वागत हैं, इस वीडियो में जानेगे-
mana gaon, vyas gufa, bhim pul, vasu dhara aadi ke baare mein

बद्री धाम के कपट खुलने का समय/ कब आयें –

हिमालय में बद्रीनाथ से तीन किमी आगे समुद्रतल से 3111 मीटर की उचाई पर बसा गुप्त गंगा और अलकनंदा के संगम पर भारत-तिब्बत सीमा से लगे है भारत का अंतिम गाँव माणा।

बद्रीनाथ आने वाले श्रद्धालु माणा गाँव भी जरूर आते हैं, सड़क से लगभग आधा किलोमीटर पैदल चल कर यहाँ पंहुचा जा सकता हैं,

भारत की उत्तरी सीमा पर स्थित इस गाँव के आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं जिनमें व्यास गुफा, गणेश गुफा, सरस्वती मन्दिर, भीम पुल, वसुधारा आदि मुख्य हैं।




माणा में कड़ाके की सर्दी पड़ती है। यह एक छोटा सा गांव है जहां के लोग मई से लेकर अक्तूबर तक इस गांव में रहते हैं, क्योंकि बाकी समय यह गांव बर्फ से ढका होता है। सर्दियां शुरु होने से पहले यहां रहने वाले ग्रामीण नीचे स्थित चमोली जिले के गाँवों में shift ho jaate हैं।

इस गांव में एक ऊंची पहाड़ी पर बहुत ही सुन्दर गुफा है, ऐसी मान्यता है कि व्यास जी इसी गुफा में रहते थे। व्यास गुफा के बारे में कहा जाता है कि यहीं पर वेदव्यास ने पुराणों की रचना की थी वर्तमान में इस गुफा में व्यास जी का मंदिर बना हुआ है।

व्यास गुफा को बाहर से देखकर ऐसा लगता है मानो कई ग्रंथ एक दूसरे के ऊपर रखे हुए हैं। इसलिए इसे व्यास पोथी भी कहते हैं।

व्यास गुफा के पास एक बोर्ड लगा है. ‘भारत की आखिरी चाय की दुकान’ जी हां, इसे देखकर हर सैलानी और तीर्थयात्री इस दुकान में चाय पीने के लिए जरूर रुकता है.




यहां से लगभग सौ दो सौ मीटर नीचे की और उतरने पर स्थित है भीमपुल
कहा जाता है कि जब पांडव स्वर्ग को जा रहे थे तो उन्होंने इस स्थान पर सरस्वती नदी से जाने के लिए रास्ता मांगा, लेकिन सरस्वती ने उनकी बात को अनसुना कर दिया और मार्ग नहीं दिया. ऐसे में महाबली भीम ने दो बड़ी शिलाएं उठाकर इसके ऊपर रख दीं, जिससे इस पुल का निर्माण हुआ. पांडव तो आगे चले गए और आज तक यह पुल मौजूद है.
यह भी एक रोचक बात है कि सरस्वती नदी यहीं पर दिखती है, इससे कुछ दूरी पर यह नदी अलकनंदा में समाहित हो जाती है. नदी यहां से नीचे जाती तो दिखती है, लेकिन नदी का संगम कहीं नहीं दिखता. इस बारे में भी कई मिथक हैं, जिनमें से एक यह है कि महाबली भीम ने नाराज होकर गदा से भूमि पर प्रहार किया, जिससे यह नदी पाताल लोक चली गई.
दूसरा मिथक यह है कि जब गणेश जी वेदों की रचना कर रहे थे, तो सरस्वती नदी अपने पूरे वेग से बह रही थी और बहुत शोर कर रही थी. आज भी भीम पुल के पास यह नदी बहुत ज्यादा शोर करती है. गणेश जी ने सरस्वती जी से कहा कि शोर कम करें, मेरे कार्य में व्यवधान पड़ रहा है, लेकिन सरस्वती जी नहीं मानीं. इस बात से नाराज होकर गणेश जी ने इन्हें श्राप दिया कि आज के बाद इससे आगे तुम किसी को नहीं दिखोगी.
वसुधारा- माणा से लगभग 5 किमी की दूरी पर बसुधारा प्रपात है यहां पर जलधारा 500 फीट की ऊंचाई से
गिरती है। ऐसा कहा जाता है कि जिसके ऊपर इसकी बूंदें पड़ जायें उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।




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सम्पूर्ण उत्तराखंड जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, जहाँ के हर हिस्से से कोई न कोई देवीय कथा जुडी हुई है, फिर चाहे वो कुमाऊँ हो या फिर गढ़वाल.
जहाँ कुमाऊँ में कई मंदिर हैं, वही गढ़वाल में चार धाम स्थित हैं, साथ ही हर भाग में कई ट्रैकिंग रूट मौजूद हैं.
हरिद्वार, ऋषिकेश, यमुनोत्री, गंगोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ, पाताल भुवनेश्वर, जगेशर, पूर्णागिरि, द्रोणागिरी जैसे धार्मिक स्थल हैं, तो राजाजी नेशनल पार्क, कॉर्बेट नेशनल पार्क, बिनसर एक सेंचुरी जैसे रिजर्व्ड फारेस्ट, गंगा, यमुना, अलकनंदा जैसे नदियों का उद्गम स्थल भी यही स्थित है… कई ऋषियों, मुनियो, और स्वयं साक्षात् इश्वर का ध्यान व तप स्थल भी उत्तराखंड रहा है

बदरीधाम कैसे पहुचे
चलिए पहले जान लेते हैं यहाँ कैसे पहुंचे
बदरीधाम तक आप देश के किसी भी हिस्से से हरिद्वार, ऋषिकेश होते हुए पहुच सकते हैं, देहरादून से बद्रीनाथ की दुरी 335 किलोमीटरस, हरिद्वार से 315 km और ऋषिकेश से क्रमशः 295 km, aur ek baar aap badrinath pahuch gaye to mana aap aasani se pahuch sakte hain
screen mei aaapko vibhinn hisso mana pahuche ke liye route chart dikh jayga
(kathgodam – bhimtal – bhowali – kherna – ranikhet – dwarahat – chaukhutia – aadibadri – Karnprayag – langasu – nandprayag – chamoli – pepalkoti – joshimath – govind ghat pandukeshwar – hote hue pahucha jaa sakta hai
dehradun se doiwala – rishikesh – devprayag – shrinagar – rudrapryag – gauchar – karnprayag – langasu – karnprayag – chamoli – pipalkoti hote hue badrinath – 335 km
hariwar se rishikesh – devprayag – srinagar – aur baaki soute same — 315 km
kedarnath se – gaurikund – phata – ukimath- agastmuni – rudraprayag – gauchar – karnprayag- langasu – nandprayag- chamoli – pipalkoti- joshimath – pandukeshwar hote hue badrinath pahucha ja sakta hai – dono dhamo kee duri sadak marg dwara 225 kilometer hai aur tay karne mei lagne waala samay 8 se 10 ghanta

इन सड़क मागों के अलावा अब हवाई मार्ग से भी बदरीनाथ आया जा सकता है जिसके लिये देहरादून, हरिद्वार, एवं गौचर से चार्टेड हेलीकाप्टर सेवायें चलती हैं।

शीतकाल में यहां के निवासी निचले इलाकों की ओर चले आते है और कपाट खुलने से साथ ही वहां पहुचते हैं। उनका एक समय भेड़ों का मुख्य कारोबार हुआ करता था।वे जड़ी बूटियां का संग्रहण व ऊनी वस्त्रों को बनाने का कार्य करते रहे हंै।

माण से पूर्व पहलंे सेना के कैम्प हैं।

व्यासगुफा एवं गणेष गुफा- बसुधारा सतोपंथ मार्ग पर व्यासगुफा है जहां रहकर ऋषि व्यास ने वेदों का सृजन किया। इसके समीप ही गणेश गुफा है।मान्यता है कि गणेश जी ने वेद व्यास के मुख से निकली वाणी को चैव्वन ग्रन्थों में लिपिबद्ध किया था।




भीमपुल- माणा से कुछ दूर सतोपंथ जाने वाले मार्ग पर कुछ दूर सरस्वती नदी है जो एक चट्टान के नीचे से गुजरती है।महाभारत युद्ध के बाद जब पाण्डव यहां से गुजर रहे थे राह में सरस्वती नदी के प्रवाहमान होने से उनका मार्ग अवरुद्ध होने पर भीम ने इस नदी पर एक भारी चट्टान को रखा जिसे भीम पुल जाना जाता है। दायीं हाथ की ओर का रास्ता तिब्बत सीमा के लिये चला गया है। उस ओर प्रवेश की मनाही है।

सतोपंथ (स्वर्गारोहिणी)- इस स्थान से राजा युधिष्ठिर ने सदेह स्वर्ग को प्रस्थान किया था।इसे धन के देवता कुबेर का भी निवास स्थान माना जाता है। यहां पर सतोपंथ झील है जो बदरीनाथ धाम से 24 किमी. दूर है। यहीं से अलकनंदा नदी का उद्गम होता है।इस मार्ग पर बर्फीली चोटियों के बीच से आकर कई हिमानियां नदी में मिलती है व इसका परिमाण बढ़ाती है।कई श्रद्धालु व पर्यटक सतोपंथ तक की कठिन यात्रा करते हंै और इसमें स्नान करते हैं।बदरीनाथ के अतिरिक्त चार अन्य बदरी मन्दिर आदिबदरी, योगबदरी, वृद्धबदरी, ध्यानबदरी हंै जिनका अपना महात्मय है।

उम्मीद है आपको श्री बदरीधाम से जुडी जानकारियां पसंद आयी होगी
आप सब का मंगल भगवान श्री विष्णु करें, इसी कामना के साथ विदा, फिर मुलाकात होती किसी और सफ़र YA KISI DESTINATION में धन्यवाद,

Badrinath Travel Guide

बद्रीनाथ धाम : हिमालय के शिखर पर स्थित बद्रीनाथ मंदिर हिन्दुओं की आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है। बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य में चमोली जिले में जिला मुख्यालय चमोली से १०० किलोमीटर की दुरी पर अलकनंदा नदी के किनारे बसा है। मूल रूप से यह धाम विष्णु के नारायण रुप को समर्पित है।। बद्रीनाथ मंदिर को आदिकाल से स्थापित माना जाता है।

बद्रीनाथ मंदिर के कपाट प्रतिवर्ष अप्रैल के अंत या मई के प्रथम पखवाड़े में दर्शन के लिए खोल दिए जाते हैं। कपाट के खुलने के समय मन्दिर में अखण्ड ज्योति को देखने को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता रहता है।

अधिक जानने के लिए वीडियो देखें।

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