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शिमला तारा देवी मंदिर/ काली टिब्बा मंदिर चैल एवं अन्य आकर्षण

पिछले वीडियोस में आपने देखा चंडीगढ़ नगर, और फिर कैसे हम चंडीगढ़ से शिमला पहुँचे और शिमला से कुफ़री पहुँच कुफ़री घूमें। कुफरी से वापस शिमला पहुँच शिमला के विभिन्न आकर्षणों जैसे मॉल रोड, The Ridge, स्कैंडल पॉइंट, जाखूँ मंदिर, काली बाड़ी मंदिर, अन्नाडेल आदि घूमने के बाद श्री बजरंगबली मंदिर को देखा। (इन सभी वीडियोस के लिंक आपको इस लेख के अंत में मिल जाएँगे।)

इस लेख में है शिमला के निकटवर्ती, श्रद्धालुओं के लिए अटूट आस्था का केंद्र तारा देवी मंदिर जो की शिमला से लगभग 18 किलोमीटर दूर शोघी के समीप स्थित है। तारा देवी मंदिर की समीप ही है दुधाधारी मंदिर और फिर यहाँ से लगभग 2 किलोमीटर के ट्रैक करके पहुँचे प्राचीन शिव मंदिर। शिव मंदिर से वापस तारा देवी मंदिर और फिर तारा देवी मंदिर से काली टिब्बा मंदिर के दर्शन किए। काली टिब्बा मंदिर जो की शिमला की एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है, जहां से आस पास के क्षेत्रों का बड़ा खूबसूरत दृश्य दिखता है।

तारा देवी मंदिर, शिमला के सबसे प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों में से एक है, और मंदिर का दिव्य वातावरण स्थानीय निवासियों के साथ साथ दूर दूर से आये पर्यटकों को भी आकर्षित और आनंदित करता है।

देखें वीडियो:

तारा देवी मंदिर, शिमला से लगभग 18 किलोमीटर है। ‘शोघी’ नाम के स्थान से मंदिर के लिए एक अलग सड़क मिलती है, जिससे लगभग 6-7 किलोमीटर चल कर पहुचते है – तारा देवी मंदिर। मंदिर के मार्ग में – चीड़, बाज़ सहित अनेकों वृक्ष मिलते हैं, और घाटियाँ, घुमावदार सड़के और पहाड़ी क्षेत्रों में बसे खूबसूरत दृश्य दिखते हैं।

मंदिर की ओर जाता मार्ग अत्यंत सुंदर है। मंदिर के समीप सड़क के किनारे छोटे – बड़े वाहनों के लिए पर्याप्त पार्किंग है, और यही पर है –  मंदिर में प्रसाद/ भेंट उपलब्ध कराती दुकानें भी। पार्किंग से लगभग सौ – डेढ़ सौ सीढ़ियाँ चढ़कर मदिर के परिसर में पहुचते हैं।

तारा देवी मंदिर का मुख्य भवन के भीतर देवी माँ के के दर्शन होते है, मंदिर के चारों और  श्रद्धालुओ का परिक्रमा पथ हैं। समुद्र तल से लगभग 2200 फीट की ऊँचाई पर तारा देवी मंदिर स्थित है। मंदिर परिसर से से सोगी, आसपास के गाँव और पहाड़ियों के मनोरम दृश्व देखे जा सकते है। मंदिर में प्रातः 7 बजे से सायं 6:30 तक देवी के दर्शन किए जा सकते हैं।

मंदिर का निर्माण ढाई सौ वर्ष पूर्व पश्चिम बंगाल से सेन वंश के राजा ने स्वप्न में देवी द्वारा दिये निर्देशों के अनुसार इस स्थान पर कराया था। इस मंदिर का कुछ समय पूर्व पुनर्निर्माण हुआ था। माँ सरस्वती, माँ भगवती और काली माँ सहित विभिन्न देवियों की मूर्तियाँ यहाँ विराजित है। तारा देवी मंदिर के मुख्य भवन को हिमांचल की पहाड़ी वास्तुकला द्वारा सहेजा गया है। मंदिर का भीतरी भाग के दरवाज़े और लकड़ी में को देवी-देवताओं के लघु चित्रों बारीकी और कुशलता से उकेरे गये है। 

मंदिर परिसर ऊर्जा से सराबोर कर देता है। यहाँ की सुंदरता पर मुग्ध तो होने के साथ यहाँ की स्वच्छ ताजी हवा में सांस लेने की अनुभूति भी ऊर्जा से भर देती है।

यहाँ कैसे पहुँचे!

शिमला से मां तारा देवी मंदिर तक जाने के लिए अपने वाहन के अतिरिक्त, एचआरटीसी (HRTC) की नियमित अंतराल में चलती बस से आने के अलावा, टैक्सीज हायर कर मंदिर तक पहुँच सकते हैं।

दुधाधारी मंदिर

तारा देवी मंदिर की पीछे की जाते रास्ते से लगभग डेढ़ – दो सौ मीटर की दूरी दुधाधारी मंदिर स्थित है। तारा देवी मंदिर दर्शन के लिए आये श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शन भी करते हैं। मंदिर में माता दूधाधारी की सफ़ेद संगमरमर से बनी सुंदर मूर्ति व लकड़ी से बनी अन्य मूर्तियाँ सुशोभित हैं। यहाँ से भी घाटियों के सुंदर दृश्य दिखते है।

समीपवर्ती शिव मंदिर

दोनों मंदिरों के बीच से दायीं और नीचे को जाते पैदल मार्ग से  लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर शिवजी के प्राचीन मंदिर है। समय हो इस मंदिर के दर्शन भी अवश्य करने चाहिए। शिव मंदिर के लिए पूरा मार्ग शांत तारव के घने वन क्षेत्र से हो कर गुजरता है। मार्ग में बाँज और बुरांश आदि के वृक्ष बहुतायत में है। 

शिव मंदिर के के समीप स्थित इस जल श्रोत से माँ तारा देवी मंदिर में पूजा व भोग के लिए जल  ज़ाया जाता है। इस जल को पीने से अलौकिक तृप्ति की अनुभूति होती है। शिवरात्रि व जन्माष्टमी के अवसर पर यहाँ भंडारे का आयोजन भी किया जाता है।

इस स्थान पर श्री 1008 बाबा सोहन दास जी जो 1964 में अपनी भौतिक देह छोड़ चुकें हैं, ने 12 वर्ष तक कठोर तप किया था। बाबा जी की कुटिया के भीतर ही अखंड धूनी है, जिसे निरंतर ज्वलित रखा जाता है।  

काली टिब्बा मंदिर

तारा देवी, दूधाधारी मंदिर दर्शन और और तारादेवी मंदिर के निकटवर्ती वन में स्थित शिव मंदिर दर्शन करने की बाद हमने काली टिब्बा स्थित मंदिर के दर्शन करने के लिए निकले, जो चायल/ चैल की एक ऊँची पहाड़ी के शिखर में स्थित है। मंदिर तक वाहन द्वारा पहुँचा जा सकता है। तारा देवी मंदिर से 34 किलोमीटर दूरी और शिमला से कुफ़री और कोटी होते हुए लगभग 47 किलोमीटर की दूरी पर यह मंदिर स्थित है।

यहाँ मुख्य मंदिर माँ काली का है, इसके अतिरिक्त यहाँ शिव जी, गणेश जी, पंचमुखी हनुमान जी सहित विभिन्न देवी देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं। यह सफ़ेद संगमरमर से बना हुआ है।

चैल के अन्य आकर्षण

यह स्थान इस मंदिर के अतिरिक्त विश्व के सबसे ऊँचे क्रिकेट मैदान, वाइल्ड लाइफ sanctuary, पोलो के मैदान, सिद्ध बाबा मंदिर, 115 वर्ष पुराने महाराजा भूपेन्द्र सिंह द्वारा निर्मित चैल पैलेस के लिए भी प्रसिद्ध है।  

फिर काली टिब्बा मंदिर दर्शन के बाद हम कुफ़री होते हुए शिमला और फिर शिमला से चंडीगढ़ को निकले। चंडीगढ़ और चंडीगढ़ से शिमला कैसे पंहुचे इस पर हम पूर्व में वीडियो बना चुके हैं।

इस लेख में यही तक, इन स्थानों पर बने रोचक वीडियोज नीचे उपलब्ध हैं। धन्यवाद।

तारा देवी मंदिर, दूधाधारी मंदिर, काली टिब्बा मंदिर, चैल व शिमला के निकटवर्ती आकर्षण देखें 👇

https://youtu.be/ok5_w4aFX6Y

शिमला में क्या देखें 👇

कुफ़री घूमें 👇

चंडीगढ़ से शिमला यात्रा पर बना वीडियो 👇